बारिश
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बारिश का
रूप बिखरा
बारिश तो
गांव भर को
सामाजिक
बनाती थी।
बारिश तो
झूलों को
संगीतमय
बनाती थी
बारिश अब
तबाही का
मंजर
दिखाती है
जल जंगल जमीन
नही
अब केवल तबाही है।
डा. पूनम पाडे
बारिश का
रूप बिखरा
बारिश तो
गांव भर को
सामाजिक
बनाती थी।
बारिश तो
झूलों को
संगीतमय
बनाती थी
बारिश अब
तबाही का
मंजर
दिखाती है
जल जंगल जमीन
नही
अब केवल तबाही है।
डा. पूनम पाडे