राज्य अभिषेक है, मृत्यु भोज
*चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली (गीतिका)*
जिन्दगी कुछ इस कदर रूठ गई है हमसे
बुलंदियों पर पहुंचाएगा इकदिन मेरा हुनर मुझे,
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
गर्मी
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
नये पुराने लोगों के समिश्रण से ही एक नयी दुनियाँ की सृष्टि ह
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
जाति बनाने वालों काहे बनाई तुमने जाति ?
💐प्रेम कौतुक-285💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
मेहनत ही सफलता
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)