Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2023 · 1 min read

बाबू जी की याद बहुत ही आती है

गीत..

बाबू जी की याद बहुत ही आती हैं।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
बचपन की धुंधली तश्वीरें जुड़ करके।
जीवन की आपा-धापी से मुड़ करके।।
नयनों से चुपचाप उतरकर अन्तस् में।
लगता जैसे अपने पास बुलाती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
याद हमें है बचपन में जब घबराते।
बाबू जी थे हमें ज़िन्दगी सिखलाते।।
अम्मा की वह प्रेम भरी रूखी बातें।
लगता जैसे अब भी राह दिखाती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
संघर्षों का जीवन था पर रुके नहीं।
बाधाओं से घबरा करके झुके नहीं।।
करते रहे परवरिश हो करके तन्मय।
दीदी उनका कर्म-त्याग बतलाती हैं।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
रहे वसूलों के अनुयायी जीवनभर।
इसीलिए धन-दौलत वे ना पाये धर।।
सीधी वाणी और नहीं छल से नाता।
उनकी हर मुस्काहट हमें हँसाती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।
बाबू जी तुम देव तुल्य इंसान रहे।
सत्य हमारी उम्मीदों के शान रहे।।
दरवाजे से जाता हूँ घर में जैसे।
सूनी चौखट वैसे ध्यान धराती है।।
बाबू जी की याद बहुत ही आती है।
स्मृतियों की विपुल राशि संग लाती है।।

डाॅ. राजेन्द्र सिंह “राही”
(बस्ती उ. प्र.)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 171 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी फितरत ही बुरी है
मेरी फितरत ही बुरी है
VINOD CHAUHAN
मै बेरोजगारी पर सवार हु
मै बेरोजगारी पर सवार हु
भरत कुमार सोलंकी
भारत की है शान तिरंगा
भारत की है शान तिरंगा
surenderpal vaidya
इंतिज़ार
इंतिज़ार
Shyam Sundar Subramanian
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
■ जैसा देश, वैसा भेष।
■ जैसा देश, वैसा भेष।
*प्रणय प्रभात*
बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
कुछ भी भूलती नहीं मैं,
कुछ भी भूलती नहीं मैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"फेड्डल और अव्वल"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी की कहानी लिखने में
जिंदगी की कहानी लिखने में
Shweta Soni
"मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा है,
शेखर सिंह
हद
हद
Ajay Mishra
आज फिर दर्द के किस्से
आज फिर दर्द के किस्से
Shailendra Aseem
कौन कहता है की ,
कौन कहता है की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
केतकी का अंश
केतकी का अंश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कामयाबी का नशा
कामयाबी का नशा
SHAMA PARVEEN
क्यों दोष देते हो
क्यों दोष देते हो
Suryakant Dwivedi
जाने वो कौन सी रोटी है
जाने वो कौन सी रोटी है
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
रोशनी का पेड़
रोशनी का पेड़
Kshma Urmila
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
नौ फेरे नौ वचन
नौ फेरे नौ वचन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हकीकत
हकीकत
अखिलेश 'अखिल'
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
Being an
Being an "understanding person" is the worst kind of thing.
पूर्वार्थ
🪷पुष्प🪷
🪷पुष्प🪷
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
हम सभी केवल अपने लिए जीते और सोचते हैं।
हम सभी केवल अपने लिए जीते और सोचते हैं।
Neeraj Agarwal
24/240. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/240. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*जीवन में तुकबंदी का महत्व (हास्य व्यंग्य)*
*जीवन में तुकबंदी का महत्व (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शिवा कहे,
शिवा कहे, "शिव" की वाणी, जन, दुनिया थर्राए।
SPK Sachin Lodhi
Loading...