बाजारवाद
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बेहिसाब
खरीदारी से
कौन किसको
रोकता है
बाजारवाद में
नागरिक
केवल
उपभोक्ता है
सुख सुविधा
विलासिता
हर समय
भोग का
भाव
करता है
विकृत स्वभाव
सादगी को
सोखता है।
बस मै और मेरा
इसी तरफ झुकाव
आर्थिक
संतुलन का
पूरी तरह
अभाव।
यही तो
आदमी को
अंधकूप में
झोंकता है।
डा.पूनम पांडे