“बकरी”
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“बकरी”
में-में-में कर चिल्लाती है,
वह घास पराई खाती है।
सिंग को अपने डुलाती है,
बच्चों को जरा डराती है।
चन्द दिनों की मेहमान है,
फिर हो जाती कुरबान है।
“बकरी”
में-में-में कर चिल्लाती है,
वह घास पराई खाती है।
सिंग को अपने डुलाती है,
बच्चों को जरा डराती है।
चन्द दिनों की मेहमान है,
फिर हो जाती कुरबान है।