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17 Feb 2017 · 1 min read

प्रयास (कविता)

जाने कितनी बार,
प्रयास किया मैनेें।
की मैं अपने जीवन को,
अपनी मुठ्ठी में बांध लूँ।
कभी यह भी सोचा की,
क्यों न इसे गुब्बारे में बांध कर,
कहीं खिड़की या दरवाज़े पर टांक दूँ।
और कभी यह निश्चय किया की,
किसी बोतल में बंद करके ,अलमारी /तिजोर;
में रख दूँ.
किन्तु यह क्या !
मेरे सभी प्रयास विफल हो गए.
मेरा जीवन !
जिसे मैने नगीने की भांति संभाल कर
रखा था अब तक।
समय की ऐसी ठोकर लगी,
और मैं भूमि पर गिर गयी।
कितनी असहाय मैं!
अपने जीवन को अपने वश में ना कर सकें।
और मेरा यह जीवन,
मेरे हाथों से फिसल कर,
टूटकर ,बिखर कर,
बंधन मुक्त होकर,
भूमि में समां गयाें।
और मैं अब ,स्वयं अपनी लाश,
लेकर आई हूँ नदी के तट पर,
अपने तर्पण हेतु।

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 647 Views

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