15, दुनिया
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/f0023921664f541effcc4ca63e158d6a_600247b608942eccbad189f78a029dd0_600.jpg)
ख्यालों की दुनिया…
ख्वाबों की दुनिया,
कितनी हसीन है ये दुनिया।
ना किसी के आने का इंतजार…
ना किसी के जाने का गम,
कितनी रंगीन है ये दुनिया।
गमज़दा रहे गर रंजों- गम से,
फिर भी खुशियों की महफ़िल सजाती ये दुनिया।
कागजी फूलों से खुशबू का अहसास करवा…
यथार्थ को भी झुठलाती ये दुनिया।
बिन बारिश के भी भिगो कर…
नामुमकिन को मुमकिन बनाती ये दुनिया।
अजीब ये ख्यालों, ख्वाबों की दुनियां…
कि गम में भी मुस्कुराहट देकर …
‘मधु’ सुकून देती ये दुनिया।।