*तीन माह की प्यारी गुड़िया (बाल कविता)*
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तीन माह की प्यारी गुड़िया (बाल कविता)
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1
बेफिक्री से चुनमुन सोई
कभी न चिंता कोई ढोई
2
तीन माह की प्यारी गुड़िया
अपने ही ख्यालों में खोई
3
हॅंसकर बोलो तो हॅंसती है
भूख लगी जो तो फिर रोई
4
दादी कहतीं विश्व सुंदरी
इससे सुंदर हुआ न कोई
5
ठंड आ गई ढक कर रखना
कहकर दादा लाए लोई
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लोई = पतले ऊन से बना हुआ हल्का कंबल
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451