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17 May 2024 · 2 min read

*जीवन के गान*

जीवन के गान
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मिट्टी का तन चंचल मन,क्षण भर का मेरा जीवन ! जीवन प्रबल ! जीवन सम्बल ! जीवन ही परम प्रार्थना ! अनमोल है !
अतुल्य है ! श्रृंगार सकल संसार का ।
बीच खड़े दो राहे पर और क्या परिचय दूँ मैं? जीवन परम उपहार है।

शुन्य से आरम्भ शुन्य पर हीं अंत,
शाश्वत है शुन्य शुन्य हीं है चेतना,
शुन्य के आगोश में बसा हुआ संसार,
इश्वर की अनमोल कीर्ति सृजन का आधार, जीवन बिन संसार निराधार है।

इन्द्रधनुष-सी आभा इसकी आस-निराश से घिरि हुयी।
हँसना- रोना, खोना-पाना, पग-पग एक संघर्ष सुनिश्चित।
डग सीमित है लक्ष्य बड़ा, जीत-हार यहां एक अल्पविराम है।
जीवन महासंग्राम है।

दुख के अन्दर सुख की ज्योती सुख-दुख है सम्पूर्ण ज्ञान,
दर्द कठिन सह कर हीं जन्म लेता है इंसान ।
सुखी वही है जो ख़ुशी से दर्द सारे सह लीया,
हर क्षण चुनौती से भरा खुशी-खुशी स्वीकार किया।

जन्म-मरण पर वश नहीं,जीवन जीना पड़ता है।
कुछ कह कर, बहुत सह कर, अनदेखा करना पड़ता है।
चाँद लिखा होता कहाँ प्रत्येक की तकदीर में,
कई दीप जलाने पड़ते हैं तब अन्धेरा छँटता है!

मिल जाते हैं अनचाहे हीं पथ पर कितने साथी सुख में पग मिलाने को,
दुख के अंधेरे में जुग्नु भी पंखों में छुप जाते है। संधर्ष की चक्की चलती है तब जा कर रोटी मिलती है।
जीवन वह संघर्ष है।

निज शौर्य के बल पर प्राप्त झंझरित जीवन के क्रंदन से एकाकी हीं अच्छा।
हैं बड़े नादान वो जो पूर्णता की चाह में विधि के माथे भाग्य पटक संग चले वैसे पथिक के जिनसे पथ पर कोई मेल नहीं।

चाहे पीड़ा की मुक्ता या रिश्तों की हो चुकता समर पथ पर जो भी मिला, मैनें माना उसको ही सही।
क्यों पछताना सोंच कर, हार कहां थी जीत कहां?
खुशी-खुशी अपनाया मैनें दुनियाँ की है रीत यही।

यह कोई अभिमान नहीं स्वाभिमान की पूजा है।
जब तक चलेगी सांसे, जीतू या हारुँ, लडूं मैं। आहत मन की वेदना यूं व्‍यर्थ त्‍यागूँ भी नहीं तिल-तिल जलुं फिर भी दया की भीख नहीं मैं लूं किसी की।
समय गुजर जायेगा छोड़ यादें शेष निशानी।

फिर हृदय को ताप मिले या मुझे कोई श्राप मिले,
पथ के परिचित जो छुट गए, क्यों उनसे सूना हो अपना डग?
त्याग दें हर उन यादों को जो छुट गयी पीछे शेष निशानी।
जीवन बढ़ते जाना है।

सुन्दर सरस सलिल ये जीवन, भरे विशद संसार ने इसमें रंग अनेक ,
कई बोझ अपना डाल कर कई बोझ हमसे ले लिये फिर व्यर्थ क्यों कहती फिरूँ मैं,
जीवन एक अभिशाप है ? जीवन महा वरदान है।।
मुक्ता रश्मि
मुजफ्फरपुर, बिहार
___________________________

Language: Hindi
64 Views
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