खुशियां
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शीर्षक खुशियां
हम सबकी चाहत और राहत खुशियां होती है।
बस सभी की अपनी अपनी किस्मत रहती है
कुदरत और भाग्य से हम सभी की खुशियां होती गई है।
हम मन भावों में एक दूसरे से ईर्ष्या होती है।
सच खुशियां हम सभी के जीवन में निस्वार्थ आती है।
हम सभी रंगमंच पर कुदरत के साथ रहते हैं।
नीरज संग खुशियां लेखनी में कविता लिखते हैं
जीवन का सच मेरी नजर में कुदरत साथ रहता है
हमारे मन भावों में खुशियां और नसीब होता है।
जिंदगी एक सफर का मंथन और हकीकत कहता है।
खुशियां मन भावों में एक दूसरे का निस्वार्थ सहयोग होता है