Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

दुनिया में तरह -तरह के लोग मिलेंगे,

दुनिया में तरह -तरह के लोग मिलेंगे,
जब आप कुछ अच्छा करेंगे उनको अच्छा नहीं लगेगा,
अगर आपसे कोई भूल हो गई तो झट से गलत ठहरा देंगे,
हे ईश्वर ऐसे लोगों से बचाए रखना।

अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा”✍️✍️✍️✍️

29 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शब्दों का महत्त्व
शब्दों का महत्त्व
SURYA PRAKASH SHARMA
"क्रोध"
Dr. Kishan tandon kranti
🙏
🙏
Neelam Sharma
*तन्हाँ तन्हाँ  मन भटकता है*
*तन्हाँ तन्हाँ मन भटकता है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पत्थर - पत्थर सींचते ,
पत्थर - पत्थर सींचते ,
Mahendra Narayan
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
Chunnu Lal Gupta
देखें हम भी उस सूरत को
देखें हम भी उस सूरत को
gurudeenverma198
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा  है मैंने
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा है मैंने
शिव प्रताप लोधी
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
Dr fauzia Naseem shad
कन्या पूजन
कन्या पूजन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खाने को पैसे नहीं,
खाने को पैसे नहीं,
Kanchan Khanna
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
Mukesh Kumar Sonkar
वक्त के हाथों मजबूर सभी होते है
वक्त के हाथों मजबूर सभी होते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
जितना तुझे लिखा गया , पढ़ा गया
जितना तुझे लिखा गया , पढ़ा गया
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पाहन भी भगवान
पाहन भी भगवान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2476.पूर्णिका
2476.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
लाइब्रेरी की दीवारों में गूंजता जुनून,सपनों की उड़ान का है य
लाइब्रेरी की दीवारों में गूंजता जुनून,सपनों की उड़ान का है य
पूर्वार्थ
#देसी_ग़ज़ल-
#देसी_ग़ज़ल-
*प्रणय प्रभात*
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
ओनिका सेतिया 'अनु '
कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar
कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
डमरू वीणा बांसुरी, करतल घन्टी शंख
डमरू वीणा बांसुरी, करतल घन्टी शंख
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पूर्णिमा का चाँद
पूर्णिमा का चाँद
Neeraj Agarwal
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
Pt. Brajesh Kumar Nayak
*पेड़ के बूढ़े पत्ते (कहानी)*
*पेड़ के बूढ़े पत्ते (कहानी)*
Ravi Prakash
केवल
केवल
Shweta Soni
** सुख और दुख **
** सुख और दुख **
Swami Ganganiya
କେବଳ ଗୋଟିଏ
କେବଳ ଗୋଟିଏ
Otteri Selvakumar
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
शेखर सिंह
Loading...