देखें हम भी उस सूरत को
(शेर)- इस तरह संवरना तेरा,और शर्माना ऐसे तेरा।
बैठी हो छुपकर पर्दे में,और मुस्कराना उसमें तेरा।।
क्या नाम दूँ तुझको मैं, माहताब कहूँ या आफताब।
खास तुम होते वो, कि लिखता मैं अफसाना तेरा।।
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देखें हम भी उस सूरत को, दिखने में मगर खूबसूरत हो।
तारीफ करें हम भी, मगर मोहब्बत की वह मूरत हो।।
देखें हम भी उस सूरत को——————।।
ऐसे तो हजारों फूल हमें, राहों में मिले हैं खिले हुए।
इठलाते हुए आपस में उन्हें, देखा हैं बहुत बतियाते हुए।।
उनसे मुखातिब हम भी हो, उनकी मगर कुछ इज्जत हो।
देखें हम भी उस सूरत को——————–।।
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(शेर)- कमसिन हो इतनी मगर, तुमको खबर यह भी नही।
जो ख्वाब तुम्हारे दिल में है, तस्वीर कहीं वो हम तो नहीं।।
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हम देख रहे हैं जिसकी तरफ, तस्वीर तेरी समझो नहीं।
कहते हैं जिसको मुमताज हम,तकदीर तेरी समझो नहीं।।
उसके हम भी दीवाने हो, उसकी मगर कोई जरुरत हो।
देखें हम भी उस सूरत को——————-।।
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(शेर)- तू जिसको मेरा प्यार कहती है, वह प्यार किसी हुर्र से नहीं।
क्यों कुर्बान करुँ तुमपे यह दिल, मुझको प्यार तुमसे नहीं।।
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माना कि तुम खूबसूरत हो, दामन पवित्र इतना नहीं।
माने तुमको खुशबू- ए-वतन, ऐसा चमन तुम्हारा नहीं।।
चाहे वो माने खुद को बहार, लेकिन वो एक जन्नत हो।
देखें हम भी उस सूरत को—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)