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22 Mar 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

एक नेता ने कहा है, आएंगे अब दिन अच्छे ।
प्यार के गीत ही गाएंगे, अब दिन अच्छे ।।
अब न खाएगा कोई दर-ब-दर की ठोकर ,
ठांव सबके ही बनाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
दहश़तो ज़ुर्म की अब रात न आएगी कभी,
भोर सुख-चैन की लाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
अब न तड़पेगी किसी डाल पर चिड़िया कोई,
रोज़ ही दाना चुगाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
चमन खिल जाएगा बिखरेगी ग़ुलों की ख़ुश़बू,
क्यारियां ऐंसी सजाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
फ़स्ल की चूनर ही ओढ़ेगी ये धरती पूरी ,
आसमां अम़्न का लाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
सांप मर जाएगा लाठी भी नहीं टूटेगी ,
तंत्र ऐंसा ही चलाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
मौत गीदड़ की भी लाएगी श़ह्र की ज़ानिब़,
बात ऐंसी ही बनाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
रहनुम़ाओं ने दें दी है तस़ल्ली सबको ,
भूख औ’ प्यास बुझाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
आस में बंध गईं मुफ़लिस की भीगी आंखें ,
कंठ से हमको लगाएंगे , अब दिन अच्छे ।।
टिक गईं अब तो ‘ ईश्वर ‘ की भी पलकें ,
मेरे घर में भी आएंगे , अब दिन अच्छे ।

ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

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