“गरीब की बचत”
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“गरीब की बचत”
गरीब की बचत छोटे-छोटे लोहे के टुकड़े की तरह होती है। कोई भी चुम्बक उसे आसानी से उदरस्थ कर जाता है। चाहे वह बीमारी हो,, ब्याह हो अथवा अन्तिम कर्म की रस्में। अन्ततः जेबें खाली हो जाती हैं। इन सबमें सपना कहीं पीछे छूट जाता है।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति