“एकान्त”
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हँसाता है कभी रुलाता है
मेरा मन नहीं दुखाता है
कुछ बेहतर करने को
अक्सर ही कह जाता है
कभी मेरे अपनों से
तो कभी खुद से मिलाता है
लोग कुछ भी कहें मगर
वो बहुत सभ्रान्त है,
सच कहूँ तो
मेरा योग्य साथी एकान्त है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।