!! उमंग !!
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बे रोक टोक सा जीवन हो
उस जीवन में कुछ सपने हों
हर सपना हो खुद में जीवन
हर सपने में सब अपने हों
सपनों की उस फुलवारी में
जज़्बातों का हो निर्मल जल
उस निर्मल जल से सीचें सपनें
जिससे महके फिर अपना कल
हर कल में हो कलरव अपार
खुशियाँ हों जिसमे बेशुमार
खुशियों के उस नभ अम्बर में
चाहत के कुछ एक पक्षी हों
जो उड़े नए नित भोर गगन को
जैसे कि कोई कोयल हो
बे रोक टोक सा जीवन हो
उस जीवन में कुछ सपने हों
!! आकाशवाणी !!