अहसान का दे रहा हूं सिला
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तुम्हारी छांव में पल कर बड़ा हो गया
क्या था? और क्या से, मैं क्या हो गया?
तुमसेअन्न जल फल मिला, तुमसे बना और बल मिला
तुम्हारे अहसान का दे रहा हूं सिला, विकास में तुम पर कुल्हाड़ा चला ।।
तुम्हारी छांव में पल कर बड़ा हो गया
क्या था? और क्या से, मैं क्या हो गया?
तुमसेअन्न जल फल मिला, तुमसे बना और बल मिला
तुम्हारे अहसान का दे रहा हूं सिला, विकास में तुम पर कुल्हाड़ा चला ।।