Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2021 · 1 min read

एक गरीब मजदूर (भाग 2)

अपने गांव से दूर,
किसी अनजान शहर में,
अपना छोटा सा परिवार,
दो बच्चे और बीवी सहित,
एक छोटे से तंबू में
रहने को मजबूर
“एक गरीब मजदूर” ।

न ही पौष्टिक,
न ही स्वादिष्ट भोजन,
छह ईंटो से बने चूल्हे में
झटपट बनी कच्ची पक्की रोटियां
साथ मे कच्चा प्याज या चटनी
खाने को है मजबूर
“एक गरीब मजदूर” ।

न ही पलंग है,
और न ही गद्दा है,
रेती, गिट्टी, सीमेंट के
ऊपर ही अपने चादर
बिछाकर सोने को मजबूर,
“एक गरीब मजदूर” ।

मेहनताना
कब, कहाँ और कैसे
खर्च हो जाते पता ही नही लगता ।
बच्चो के लिए नए कपड़े, राशन,
बीवी के लिए नई साड़ी ।
पर अपने लिए कुछ न बच पाना ।
इसलिए फ़टे – पुराने कपड़े
पहनने को मजबूर,
“एक गरीब मजदूर” ।।

गोविन्द उईके

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
अजी सुनते हो मेरे फ्रिज में टमाटर भी है !
अजी सुनते हो मेरे फ्रिज में टमाटर भी है !
Anand Kumar
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
Jay Dewangan
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भले कठिन है ज़िन्दगी, जीना खुलके यार
भले कठिन है ज़िन्दगी, जीना खुलके यार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जीवन
जीवन
Rekha Drolia
2615.पूर्णिका
2615.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ऐसा भी नहीं
ऐसा भी नहीं
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*कभी कटने से पहले भी,गले में हार होता है 【मुक्तक】*
*कभी कटने से पहले भी,गले में हार होता है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
love or romamce is all about now  a days is only physical in
love or romamce is all about now a days is only physical in
पूर्वार्थ
कर रही हूँ इंतज़ार
कर रही हूँ इंतज़ार
Rashmi Ranjan
कोशिशों में तेरी
कोशिशों में तेरी
Dr fauzia Naseem shad
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
वंदेमातरम
वंदेमातरम
Bodhisatva kastooriya
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Dr. Mulla Adam Ali
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
होली की हार्दिक शुभकामनाएं🎊
होली की हार्दिक शुभकामनाएं🎊
Aruna Dogra Sharma
मैं हूँ ना
मैं हूँ ना
gurudeenverma198
.....,
.....,
शेखर सिंह
*
*"ममता"* पार्ट-2
Radhakishan R. Mundhra
बरकत का चूल्हा
बरकत का चूल्हा
Ritu Asooja
जेठ कि भरी दोपहरी
जेठ कि भरी दोपहरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"काल-कोठरी"
Dr. Kishan tandon kranti
संदेश बिन विधा
संदेश बिन विधा
Mahender Singh
जानो आयी है होली
जानो आयी है होली
Satish Srijan
गरजता है, बरसता है, तड़पता है, फिर रोता है
गरजता है, बरसता है, तड़पता है, फिर रोता है
Suryakant Dwivedi
मैं और मेरी फितरत
मैं और मेरी फितरत
लक्ष्मी सिंह
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
Surinder blackpen
यादो की चिलमन
यादो की चिलमन
Sandeep Pande
Loading...