Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2016 · 1 min read

ग़ज़ल (रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है )

किस की कुर्वानी को किसने याद रखा है दुनियाँ में
जलता तेल औ बाती है कहतें दीपक जलता है

पथ में काँटें लाख बिछे हो मंजिल मिल जाती है उसको
बिन भटके जो इधर उधर ,राह पर अपनी चलता है

मिली दौलत मिली शोहरत मिला है यार कुछ क्यों
जैसा मौका बैसी बातें ,जो पल पल बात बदलता है

छोड़ गया जो पत्थर दिल ,जिसने दिल को दर्द दिया है
दिल भी कितना पागल है ये उसके लिए मचलता है

रिश्तों को ,दो पल गए बनाने में औ दो पल गए निभाने में
“मदन ” रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है

ग़ज़ल (रिश्तों के कोलाहल में ये जीवन ऐसे चलता है )
मदन मोहन सक्सेना

529 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मैं कोई ग़जल लिखूं तो तुम गुनगुनाओगे क्या
मैं कोई ग़जल लिखूं तो तुम गुनगुनाओगे क्या
Jyoti Roshni
"दोस्ताना "
DrLakshman Jha Parimal
Below the earth
Below the earth
Shweta Soni
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
Lokesh Sharma
महक माटी के बोली के...
महक माटी के बोली के...
आकाश महेशपुरी
पथप्रदर्शक
पथप्रदर्शक
Sanjay ' शून्य'
'धुँआ- धुँआ है जिंदगी'
'धुँआ- धुँआ है जिंदगी'
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जो हमेशा खुशी चाहता हैं वो दुःख भी शत-प्रतिशत पाता हैं.. जो
जो हमेशा खुशी चाहता हैं वो दुःख भी शत-प्रतिशत पाता हैं.. जो
पूर्वार्थ
मजदूर हूँ मजबूर हूँ - कोरोना काल में लिखी गयी रचना
मजदूर हूँ मजबूर हूँ - कोरोना काल में लिखी गयी रचना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बिन चाहें तेरे गले का हार क्यों बनना
बिन चाहें तेरे गले का हार क्यों बनना
Keshav kishor Kumar
आपको स्वयं के अलावा और कोई भी आपका सपना पूरा नहीं करेगा, बस
आपको स्वयं के अलावा और कोई भी आपका सपना पूरा नहीं करेगा, बस
Ravikesh Jha
मै (अहम) का मै (परमात्मा) से साक्षात्कार
मै (अहम) का मै (परमात्मा) से साक्षात्कार
Roopali Sharma
A daughter's reply
A daughter's reply
Bidyadhar Mantry
प्यार का एहसास
प्यार का एहसास
शिव प्रताप लोधी
****चलो चले महाकुंभ****
****चलो चले महाकुंभ****
Kavita Chouhan
महकती यादें
महकती यादें
VINOD CHAUHAN
बुद्धि
बुद्धि
Vishnu Prasad 'panchotiya'
आपको पाने की...
आपको पाने की...
हिमांशु Kulshrestha
आज के जमाने में-
आज के जमाने में-
लक्ष्मी सिंह
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
कोई शिकायत आपको हमसे अब होगी नहीं
gurudeenverma198
चिन्ता करू या चिन्तन क्योंकि
चिन्ता करू या चिन्तन क्योंकि
ललकार भारद्वाज
#भारतीय संस्कृति से गंगा गाय और गायत्री की नालबद्धता
#भारतीय संस्कृति से गंगा गाय और गायत्री की नालबद्धता
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
अंधेरे से लड़ो मत,
अंधेरे से लड़ो मत,
नेताम आर सी
" सवाल "
Dr. Kishan tandon kranti
देखा नहीं आईना, भूलकर भी उन्होंने
देखा नहीं आईना, भूलकर भी उन्होंने
Umender kumar
दर्द भरी मुस्कान
दर्द भरी मुस्कान
ओनिका सेतिया 'अनु '
आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर
आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर
Shreedhar
एकाधिकार
एकाधिकार
अंकित आजाद गुप्ता
दहलीज़
दहलीज़
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
Loading...