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25 May 2017 · 1 min read

सभ्यता

नहीं बनाई जा सकती
कोई भी सभ्यता
ईंट और गारे से
लौहे और औजारोंं से
बनती है सभ्यता
जन जन के कर्म से
साफ सोच और
संवेदना के मर्म से
सहयोग के धर्म से।
जबकि धर्म और जाति
नहीं अब जोड़ते
भाषाओं के शब्द भी
अब प्रेम नहीं बोलते
आओ, सब मिल कर
साफ सोच और खुले भा्वों से
एक नई दुनिया बनाये
जिसमें हम सब रहें
बच्चों के लिये
बेहतर दुनिया छोड़ जाये।

Language: Hindi
297 Views
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