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4 May 2017 · 1 min read

ये मुहब्बत अभी कुँवारी है

मौत का कर्ज़ तुझ पे भारी है
ज़िन्दगी तू नहीं हमारी है

इश्क में कुछ नहीं रहा अपना
दिल की दौलत भी हमने हारी है

फूल सब झर गये खुशी के जब
शूल से ज़िन्दगी सँवारी है

मिल रहा है सुकून भी इसमें
जाने कैसी ये बेकरारी है

है तभी आसमान ये अपना
जब तलक ये जमीं हमारी है

यूं उठा कर पलक झुका लेना
खूबसूरत अदा तुम्हारी है

ओढ़ लेते हँसी गमों पर हम
सीख ली खुद ये होशयारी है

“अर्चना” पल रही है दिल मे ही
ये मुहब्बत अभी कुँवारी है

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 394 Views
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