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15 May 2023 · 1 min read

एहसासों से भरे पल

हर लम्हे में कई पलो को समेटे बैठा हूं
हां मैं अपने बरामदे में चाय लिए बैठा हूं
चाय के हर घुट में यादें सजाए बैठा हूं
शाम के वक्त में मद्धम सी हवाओं के साथ बैठा हूं
कभी आना तो बांटेंगे इन लम्हों को साथ तुम्हारे
जो लिए कब से मैं साथ बैठा हूं
सुशील मिश्रा

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