बड़े ही दयालु हैं मोहन हमारे
सभा बीच कृष्णा ये कहने लगी है
बचा लो कन्हैया सिसकने लगी है
दुशासन सभा में किया चाहे नंगी
मेरी लाज भगवन ये लुटने लगी है
वो अपनी तरफ खींचता सारी मेरी
वो दांतों से दामन पकड़ने लगी है
नहीं वश चला तो पुकारा हे मोहन
तुम्हारी बहन अब बहकने लगी है
चले आओ कान्हा मुझे दो सहारा
मेरी जिंदगी ये तड़पने लगी है
सुनी द्रौपदी की करुण कृष्ण क्रन्दन
के फिर सारी खुद ही तो बढने लगी है
जो देखा नजारा अचम्भित हुए सब
चिड़ी होश की सबकी उड़ने लगी है
बचाई है लज्जा किसन ने बहन की
दुआ उनके मुंह से निकलने लगी है
बड़े ही दयालू हैं मोहन हमारे
सभी से वो ऐसा ही कहने लगी है