Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2023 · 4 min read

— धरती फटेगी जरूर —

शब्द जो चुना गया है , मानता हूँ अच्छा नहीं है, न ही किसी को अच्छा लगेगा, धरती फटेगी जरूर , परन्तु है एक दम सच – वक्त आ नहीं रहा है पास कि धरती फटे , वक्त को पास लाया जा रहा है, ताकि धरती जल्द फटे !

आप भी सोच रहे होंगे, कि ऐसा किस लिए लिखा जा रहा है, क्या कारण है, कि ऐसा लिख कर जताया जा रहा है कि धरती फटेगी ? धरती के साथ लगातार जो खिलवाड़ किये जा रहे है, वो उप्पर वाले को भी मजबूर कर रहा है , कि कुछ अनुचित किया जाए, पर यह जो लगातार तेजी से बढ़ती हुई गतिविधियां हैं , वो रूकने का नाम नहीं लेंगी, जब तक बहुत बड़ा विनाश नहीं हो जाता !

लोगों के आपसी सम्बन्ध पारिवारिक इतने खराब हो चुके है, कि हर नई जेनेरशन परिवार से अलग जाकर रहने के मूड में है, और उस का पूरा फायदा बिल्डर्स उठा रहे है, धरती का सीना चीर कर नित नए फ्लैट्स बना रहे है, जिस की ऊंचाई 25 , 30 फ़ीट से भी ज्यादा है, क्या यह फ्लैट बिना धरती को चीरे इतने उप्पर तक बन रहे है, सब जगह सर्वेक्षण कर के देख लो, आपको थोड़ी सी जमीन पर अनगिनत फ्लैट्स की बिल्डिंग्स नजर आने लगेंगी , पहले यह कभी मेट्रो सिटी में हुआ करती थी, आज यह लगभग हर उस जिले में नजर आ रही है , जहाँ पर उच्च कोटि के लोग विराजमान हैं, आखिर सब को आजादी चाहिए, उस आजादी का नया स्वरुप यही है, धरती को फाड़ो और नई नई इमारते बना डालो !!

इस के बाद हर शहर आज मैट्रो और रैपिड रेल चाहता है, हर शहर के लोग चाहते है, कि मैट्रो मेरे शहर में भी आये , मैं भी स्पीड के साथ सफर करूँ, मुझ को भी सारा शहर उस मैट्रो ट्रैन में से नजर आये, नए नए सपनों के भारत को सुचारू रूप देने के लिए सरकार भी उसी तरीके से लुभावने सपने सब के सामने लाकर साकार करने में जुटी है, पर कभी इस के दूरगामी बुरे वक्त के बारे में सोचा है, जिस जिस जगह पर धरती को फाड़ कर मैट्रो को चलने के लिए पिलर का निर्माण किया जा रहा है, उस से कितना खतरा है, भला ही सरकार हर चीज को मध्य नजर रख कर निर्माण करवा रही हो, जमीन की खुदाई करवा कर टनल बनाई जा रही है, जिस के बीच में से मैट्रो ट्रैन निकला करेगी, टेक्नोलोजी बेशक किसी भी ऊंचे स्तर पर पहुँच जाए, परन्तु धरती के साथ की जा रही छेड़छाड़ हमेशां नुक्सान ही करेगी, जमीन को खोद कर नये नये निर्माण बेचक किये जा नरहे हैं, पर जिस सतह से मिटटी को हटाया जा रहा है, किस बात की गारंटी है, कि वो मजबूती प्रदान करेगी , एक भूकंप का तेज झटका सारे किये गए काम को धराशाई करने में माहिर है !

धरती के भीतर हो रही हलचल पर किसी की नजर नहीं है, बेशक हम आज चाँद पर पहुँचने वाले हैं, धरती जितनी मजबूत बनी है, उस मजबूती को हम खुद खराब कर रहे हैं, पहाड़ों को काट काट कर रास्ते बना रहे है, हर आदमी पहाड़ की ऊँची चोटी पर पहुँचने के लिए व्याकुल है, हर इंसान पहाड़ो का सफर करना चाहता है, हर इंसान उन मंदिरों तक, हर उस पर्यटन स्थल तक जाने को परेशां है, पर सब से पहले आती है हमारी सुरक्षा , जिस के लिए हम खुद तैयार नहीं हैं, कितने ही सुगम रास्ते पहाड़ काट कर बना दिए गए, कितने ही पुल नदिओं के उप्पर बना दिए गए, कितने ही रोप वे बना दिए गए, पर कोई गारंटी नहीं है, कि हम सुरक्षित हैं, आज जैसा देखने सुनने को मिल रहा है, न जाने कितनी कारें , बसें , नदिओं में बह गयी देखते देखते सब कुछ खत्म हो गया ! धरती को जरुरत से ज्यादा खोदा जा रहा है, जरुरत से ज्यादा रास्ते बनाये जा रहे हैं, जल्द से जल्द काम समय में दूरी तय हो जाए, ऐसी ऐसी सड़कों का निर्माण किया जा रहा है ! हमारे शरीर के किसी हिस्से में अगर एक पिन या सुई भी चुभ जाए तो कितना दर्द महसूस होता है, तो क्या जिस धरती पर हम सब अपना जीवन बिता रहे है, उस के साथ किया जा रहा अत्याचार उस धरा को कैसे सेहन होगा ?

ऐसा वक्त अब नजदीक खुद इंसान ला रहा है, जिस से धरती को फटना ही पड़ेगा, न जाने कितने लोग इसी जल्दबाजी के चक्कर में परलोक सिधार गए, कितने लोग पानी में बह गए, बलि तो देनी ही पड़ेगी, उस में चाहे कोई भी लपेटा जाए, ज्यादा अत्याचार का नतीजा सब को पता है, उस के बाद भी अत्याचार पर अत्याचार किये जा रहे है, अनगिनत वृक्षों को काट दिआ गया, कितने वर्षों में जाकर एक वृक्ष बड़ा होता है, पर काटने में जरा सी देर नहीं लगती, यह सब धरती के साथ किये जा रहे कार्यों का ही तो परिणाम है, जिस को हम सब भुगत रहे है, अगर यही सिलसिला जल्द न थमा तो इस से भी ज्यादा विनाशकारी दिन जल्द देखने को मिलेंगे , लोगों की चाहत ही लोगों को बर्बाद करेगी, लोगों की जल्दबाजी, बेलगाम स्पीड़ , एक दूसरे को सड़क पर तेजी से वाहन भगाते हुए आगे निकलने की होड़ बर्बाद करेगी , लोगों का अहंकार बर्बाद करेगा, लोगों की काम समय में ज्यादा से ज्यादा धन कमा कर आगे निकलने की होड़ में मुख्य कारण बनेगी , काश ! अगर इंसान समझ सके तब न !

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: लेख
298 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मोलभाव
मोलभाव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*महफिल में तन्हाई*
*महफिल में तन्हाई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आंखें मेरी तो नम हो गई है
आंखें मेरी तो नम हो गई है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
💐प्रेम कौतुक-169💐
💐प्रेम कौतुक-169💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
ख़ान इशरत परवेज़
तेरी यादों को रखा है सजाकर दिल में कुछ ऐसे
तेरी यादों को रखा है सजाकर दिल में कुछ ऐसे
Shweta Soni
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
Sandeep Kumar
झूठ बोलते हैं वो,जो कहते हैं,
झूठ बोलते हैं वो,जो कहते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
गले लगा लेना
गले लगा लेना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
Pramila sultan
*”ममता”* पार्ट-1
*”ममता”* पार्ट-1
Radhakishan R. Mundhra
3090.*पूर्णिका*
3090.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
*कभी नहीं पशुओं को मारो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
" नई चढ़ाई चढ़ना है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
"पड़ाव"
Dr. Kishan tandon kranti
Republic Day
Republic Day
Tushar Jagawat
आजाद लब
आजाद लब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
धिक्कार
धिक्कार
Dr. Mulla Adam Ali
■ संजीदगी : एक ख़ासियत
■ संजीदगी : एक ख़ासियत
*Author प्रणय प्रभात*
रिश्ते वही अनमोल
रिश्ते वही अनमोल
Dr fauzia Naseem shad
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
February 14th – a Black Day etched in our collective memory,
February 14th – a Black Day etched in our collective memory,
पूर्वार्थ
नेह निमंत्रण नयनन से, लगी मिलन की आस
नेह निमंत्रण नयनन से, लगी मिलन की आस
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
शेखर सिंह
ये बेटा तेरा मर जाएगा
ये बेटा तेरा मर जाएगा
Basant Bhagawan Roy
भुलाना ग़लतियाँ सबकी सबक पर याद रख लेना
भुलाना ग़लतियाँ सबकी सबक पर याद रख लेना
आर.एस. 'प्रीतम'
स्याही की
स्याही की
Atul "Krishn"
दुआ कबूल नहीं हुई है दर बदलते हुए
दुआ कबूल नहीं हुई है दर बदलते हुए
कवि दीपक बवेजा
Loading...