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9 Nov 2016 · 1 min read

दुनिया का चाल-ओ-चलन देख लिया

उस शख़्स की आँखों में बचपन भी था और जवानी भी,

उसकी बातो में ख़ुशी के गीत थे और गम की कहानी भी,

वो तितली के परों पर बैठ कर उड़ान भर गया,
निचे जमीं पर देखा तो मंजर बदल गया,

उसने कोई ख़ता की ही नहीं तो माफ़ क्या करे,
वक़्त ख़ुद गुनहगार है इन्साफ क्या करे,

चलो इसी बहाने उसने दुनिया का चाल-ओ-चलन देख लिया,
शेर की खाल उतर गई, गीदड़ का बदन देख लिया।

Language: Hindi
573 Views
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