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29 Oct 2016 · 1 min read

दीपावली

गीतिका
जिंदगी में भरे प्यार दीपावली।
हर्ष का सौम्य उपहार दीपावली।
दीप बंधुत्व बन झिलमिलाते रहैं।
है तिमिर द्वेष की हार दीपावली।
कामना पूर्ण हों आपकी शुभ सकल।
श्री सहित आये’ अब द्वार दीपावली।
सोख ले अश्रु दृग कोर से आपके।
शुभ्रता की हो’ झंकार दीपावली।
देश में शांति के दीप जलने लगें।
आये’ ऐसी किसी बार दीपावली।
बम नहीं अब पटाके चलें हास्य के।
कर दे’ पूरी ये’ मनुहार दीपावली।
आज फूले फले देश का नागरिक।
भारती का हो’ श्रंगार दीपावली।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ, सबलगढ(म.प्र.)

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