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9 Oct 2016 · 1 min read

तमन्नाओ की बन्दिशे

तमन्नाओ की बन्दिशे अब गायी नहीं जाती
मुहब्बत के शेर सब औंधे पडे है

डूब रहे थे इश्क के दरिया मे जो संग
हम डूब रहे है, वो साहिल पे खडे है

हमसे अलग होने को कदमो की दिशा बदली
वापस न आयेंगे जो पग मेरे आगे बढे है

क्या हाथ उठाऐगें वजू करने को वो प्रीति
जो अहम की धरापर जिद पर अडे है

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