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5 Jul 2017 · 1 min read

कहाँ गई मानवता

.
लाेग गाेरे मन काला,
काम करें ये काला,
भूल चले अपनी कला,
माेह माया मे फसा गला,
इंसान बटा,और बट गया प्यार,
जाति बटी, और बट गया यार,
सरहदे पार कर गयी अपनी हदे,
इक पल का खेल ,धरा काे मिटा दे,
आतंक के साये मे जी रहे लाेग,
मानवता मर चुकी, कर रहे भाेग,
काैन अब लगाम लगायेगा,
काैन विश्व शांति फैलायेगा,
बनकर देव दूत काैन धरा पर आयेगा,
अपने अंदर के देव काे काैन जगायेगा,
अपनी ताल काे लय मे पिराेयेंगे,
शांति का ध्वज अब हम फहरायेंगे,
मन की हार काे पहले हम जीतेंगे,
उस हार काे गले का हार बनायेंगे,
पहले हम इंसान है, इंसानियत जगायेंगे,
मिलकर सब मातृभूमि काे सजायेंगे,
काला हाे या गाेरा सबका लहू लाल,
इंसान हाे या जानवर सब चाहते अपना लाल,
खुश रहाे, खुशियाँ चंहुओर फैलावाे,
भूले भटकाे काे ,सही राह दिखावाे,
अच्छे पुण्य कर्माे से मिला ,ये मानव जीवन,
पतझड़ मत फैलावाे, लाओ हरियाली बनकर सावन,
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 510 Views
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