जितना आपके पास उपस्थित हैं
वक्त सबको मिलता है अपना जीवन बदलने के लिए
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
तेरा मेरा खुदा अलग क्यों है
रब करे हमारा प्यार इतना सच्चा हो,
*सच्चे गोंड और शुभचिंतक लोग...*
तुमको वो पा लेगा इतनी आसानी से
ज़बान
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
मैं धर्मपुत्र और मेरी गौ माँ
*ठहाका मारकर हँसने-हँसाने की जरूरत है【मुक्तक】*
बो बहाता नहींं हैं वो पी लेता हैं दर्द में आंसुओ के समुद्र क
सोना बोलो है कहाँ, बोला मुझसे चोर।
जै मातादी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया