गोरे तन पर गर्व न करियो (भजन)
अपने मोहब्बत के शरबत में उसने पिलाया मिलाकर जहर।
'प्यासा'कुंडलिया(Vijay Kumar Pandey' pyasa'
भुजरियों, कजलियों की राम राम जी 🎉🙏
कटा के ये पर आसमां ढूंढ़ती है...
कभी धूप तो कभी खुशियों की छांव होगी,
सरकारी नौकरी लगने की चाहत ने हमे ऐसा घेरा है
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मै कैसे