Posts Tag: कहानी 2k posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 28 Next Shobha Yadav 25 Jul 2021 · 2 min read नारीशक्ति कि मिशाल फूलन देवी आज मैं #किसानपुत्री_शोभा_यादव बात करूँगी एक साधारण नारी की जो बाद मे डकैत, सासंद , चंबल कि रानी ,और महिलाओं कि मिशाल बनी। सबसे पहले आज उस बिरंगाना को कोटि-कोटि... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 2 571 Share सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life) 25 Jul 2021 · 32 min read कलयुग का हलाहल मृदुला , मेरु को स्टील के मग में चाय देती हुई पूछती है ," जान तबियत ज्यादा खराब है तो मैं आज शाम की भी छुट्टी कर लेती हूँ "..?... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 6 497 Share शरद कुमार पाठक 25 Jul 2021 · 1 min read *कहानी घर की-! आओ कहानी तुम्हें सुनाये निज कुटम परिवार की एक पेड़ की दो शाखाएं फूले फले परिवार की स्नेह भरा संयुक्त कुटुम आँगन के गुन्जार की आओ कहानी तुम्हें सुनाये निज... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 2 490 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Jul 2021 · 4 min read निर्वासन में: ईशबोध के खोज में : निर्वासन में: ईशबोध के खोज में : अब तक मैं १७ वर्ष का हो चुका था , और एक बार फिर अज्ञात अंतहीन ईश की खोज कि ओर मेरा झुकाव... Hindi · कहानी 2 707 Share विवेक जोशी ”जोश” 25 Jul 2021 · 4 min read ”घर का नाैला ” पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के दुष्कर जीवन से कौन परिचित नहीं। किंतु फिर भी शिवदत्त को अपने पैतृक गांव ”धुनौली” से बहुत लगाव है। शिवदत्त के परिवार में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 4 766 Share Rajendra Gupta 25 Jul 2021 · 4 min read एफ आई आर 28• एफ आई आर आज झपसी सिंह के घर के बाहर सर्दी के मौसम में दोपहर बाद मुहल्ले वालों की भारी भीड़ जुटी थी।लोग कह रहे थे कि उनकी बहू... Hindi · कहानी 2 1 282 Share Buddha Prakash 25 Jul 2021 · 5 min read उम्मीद के सहारे प्रतिदिन की तरह आज भी वह सूर्योदय होने से पहले उठी। दो-तीन बार की कोशिशों के बाद दीया- सलाई से दीपक को जलाया। दीपक की टिमटिमाती रोशनी से वह इधर-उधर... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 7 4 874 Share Ram Krishan Rastogi 24 Jul 2021 · 6 min read मासूम शिव भक्त – एक सच्ची कहानी शंकर एक अनाथ लड़का था। उसको जंगल में रहने वाले शिकारियों के एक गिरोह ने पाला था। उसके पास कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं थी – वह केवल एक चीज... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 23 28 7k Share Santosh Shrivastava 24 Jul 2021 · 2 min read प्यारा बच्चा सुमि सुबह उठ कर रो रही थी । उसके सुबह सुबह रोने से सब परेशान हो रहे थे । एक दिन सुमि की माँ संगीता ने पूछा : ” बेटी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 3 528 Share सुरेखा कादियान 'सृजना' 24 Jul 2021 · 22 min read "उसने मुझे बख़्श दिया" आज नए ऑफिस में शिवानी का पहला दिन है। साड़ी की प्लीट्स ठीक करते हुए, आईने के सामने ख़ुद को एक दौड़ती सी निगाह से निहारकर वह ऑफिस के लिए... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 612 Share Devender Kumar Dahiya 24 Jul 2021 · 19 min read छुटकी वैशाख की दुपहरी का चढ़ता सूरज नभ शिखर को छूने को आतुर था, यद्यपि वृद्ध नीम के पेड़ों का जोड़ा, गदराया शीशम का दरख़्त और वैभव से झुका हुआ शहतूत... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 625 Share Shailendra Aseem 23 Jul 2021 · 6 min read अन्तर्द्वन्द्व आज वह फिर उदास बैठा था। उसके चारों ओर प्रकृति का मनमोहक सुन्दरतम रूप अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित था। कभी नदी की कल-कल ध्वनि किसी मधुर संगीत का... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 6 444 Share डी. के. निवातिया 23 Jul 2021 · 5 min read दिखावे की रस्म - डी. के. निवातिया {{ दिखावे की रस्म }} आज घर में बड़ी चहल पहल थी I और हो भी क्यों न ! घर में मेहमान जो आने वाले थे, वो भी घर की... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 536 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 3 min read मानव धर्म मानव धर्म महिमा के ऊपर आजकल काम का बोझ बढ़ गया था l क्योंकि कामवाली बाई को भी कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण उसने छुट्टी दे रखी थी l... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 2 579 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 3 min read रक्तदान शीर्षक - रक्तदान सतीश ने अख़बार एक किनारे रखा l उसके मष्तिष्क को आज के अख़बार में छपी याचना उद्वेलित कर रही थी l दुर्घटना में घायल एक नौजवान जीवन... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 340 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 3 min read ऐसी भी माँ होती हैं मोनिका दरवाजे की घण्टी की आवाज से जगी, दरवाजा खोला तो देखा उसकी पड़ोसन मीना खड़ी है l "मोनिका मैं दो दिन के लिए बाहर जा रही हुँ मेरे पीछे... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 310 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 11 min read चन्द्रिका शीर्षक चन्द्रिका --------------------------- चंद्रिका यथा नाम तथा गुण l सच वह बिल्कुल चंद्रकिरण सी ही खूबसूरत थी l दूधिया गोरा रंग, लंबाई साढ़े पाँच फीट से किसी भी हालत में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 462 Share Nirmala Karn 23 Jul 2021 · 7 min read यशोदा माँ यशोदा माँ -------------------- विमला आज सुबह से ही बहुत उदास है किसी कार्य में उसका मन नहीं लग रहा था किसी प्रकार उसने अपने घरेलू कार्य इसी मनःस्थिति में निबटाये... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 414 Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read जीवनदायिनी अक्टूबर का महीना.. सोमवार की व्यस्ततम दोपहर............ रविवार का दूसरा दिन यानि सारी दुनिया अपने-अपने कार्य क्षेत्र के मकड़जाल में उलझी हुई......... मौसम में हल्की सर्द आहट... सैर सपाटे के... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 529 Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read ज्वारभाटा सुमि बेजान-सी चहलकदमी कर रही है। नींद तो मानों उसकी आँखों से कोसों दूर थी आज........ और आती भी कैसे...... अल सुबह निर्णय जो हो जाना था। सुयश बीच-बीच में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 418 Share आलोक पांडेय 22 Jul 2021 · 2 min read पिता का दर्द डॉक्टर रमेश बलिया शहर के जाने-माने डॉक्टरों में से एक थे। उनके क्लीनिक पर हमेशा मरीज़ों की भीड़ लगी रहती थी। डॉक्टर रमेश 75 साल की उम्र में भी बहुत... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 4 714 Share Taposh Kumar Ghosh 22 Jul 2021 · 3 min read भारतीय शास्त्रीय संगीत जुगलबंदी भारतीय शास्त्रीय संगीत जुगलबंदी यह दुर्गापुर 1965 में दुर्गा पूजा का समय था, जहाँ मैं काम कर रहा था, आगरा में घर नहीं गया, क्योंकि पूजा मनाने का कोई मूड... Hindi · कहानी 454 Share शरद कुमार पाठक 22 Jul 2021 · 1 min read *खण्डहर-! क्या देखते हो इस खण्डहर को जो आज ये एक कहानी बनकर रह गया जो अपना बीता हुआ कल फिर से ढूंढ रहा है। ये विछिप्त प्राचीरें जिसमें बारीकता से... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 333 Share ओनिका सेतिया 'अनु ' 22 Jul 2021 · 2 min read भरपाई ‘’ बस अब बहुत हो चूका,अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता तुम सबने मुझे समझ क्या रखा है ? हैं ! क्या मैं कामवाली बाई हूँ , सेविका हूं क्या... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 10 497 Share Rajesh vyas 22 Jul 2021 · 2 min read काम बंद है _____ कहानी "जब से आई बीमारी ,जिंदगी कईयों की हारी। सामने हमारे ,आकर खड़ी हो गई यह बेरोजगारी।। अपने आंगन में रमेश कुछ इसी प्रकार से गुनगुना रहा होता है तभी उसके... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 4 544 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 22 Jul 2021 · 1 min read "जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे" जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे बस जिंदगी की गुलाम थी~हसरतों से बहुत दुर पर आसमान के बहुत पास~ख्वाबों से इतना इश्क~हकीकत भी शरमा जाए...? उसे पता था बस एकबार... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 441 Share Taposh Kumar Ghosh 22 Jul 2021 · 5 min read भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं ॐ भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं ॐ वृंदावन में पले-बढ़े हम यमुना नदी में तैरने जाते थे प्रतिदिन "कैसीघाट" पर. कैसीघाट श्रेष्ठ था। यह बहुत लंबा, बहुमंजिला, साधुओं, संतों और आगंतुकों के... Hindi · कहानी 1 556 Share Deepak Kumar Sharma 21 Jul 2021 · 3 min read एक 'स्मृति'ऐसी भी । एक 'स्मृति' ऐसी भी ! शाम को लगभग आठ बजे रहे थे। मैं अपने मित्र के दुकान के बाहर हमेशा की तरह उस दिन भी खड़ा था। कोरोना काल के... Hindi · कहानी 3 1 353 Share Pallavi Mishra 21 Jul 2021 · 11 min read बंटवारा "अम्मांजी जी नहीं रहीं"- जब एक हफ्ता पहले मुझे अपनी सास के निधन का यह अप्रिय समाचार सुनाया गया तो सहसा मेरे कानों को यकीन ही नहीं हुआ। मन बेहद... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 931 Share Ananya Pahari 21 Jul 2021 · 2 min read "तर्क हमेशा विद्यमान रहा है, किंतु तर्कसंगत रूप में नहीं" *तर्क हमेशा विद्यमान रहा है, किंतु तर्कसंगत रूप में नहीं* आइना बोल पड़ा "बहुत बदल गई हो तुम!" ऐसा लगा मानो कोई अतीत के अंधकार में धकेलने की कोशिश कर... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 467 Share Namita Gupta 21 Jul 2021 · 7 min read बात उस रात की बात उस रात की डॉक्टर शशांक को हांसपिटल में आए हुए अभी हुए दो ही महीने हुए थे। उसी समय कोविड के मरीजों की तादाद भी बढ़ने लगी। डा. शशांक... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 3 677 Share Rani Singh 20 Jul 2021 · 4 min read भविष्य की परिकल्पना दलित बस्ती की परबतिया की तीन बेटियाँ हैं। वैसे परबतिया को सब कुर्सेला वाली ही कहते हैं। उसका घर वाला मने कि उसका पति है बेचन ऋषि। अब गाँव-घर में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 5 771 Share Vivek Ahuja 20 Jul 2021 · 4 min read उपहार कहानी : "उपहार" आज अचानक बैसाखी लाल के दरवाजे की घंटी बजी तो ,बैसाखी लाल ने अपनी छोटी बेटी रजनी को आवाज लगाई..... "बेटा देखो दरवाजे पर कौन है" रजनी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 4 559 Share Neetu gupta 20 Jul 2021 · 5 min read यह जिम्मेदारी हम मिलकर बांट लेंगे हर कामकाजी महिला को घर और ऑफिस दोनों जिम्मेदारी उठानी पड़ती है जो आसान काम नहीं है एक पुरुष सिर्फ अपना ऑफिस का काम कर कर ही थक जाता है... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 323 Share Rani Singh 20 Jul 2021 · 3 min read अपनी जिंदगी अपने तरीके पिछले दो सालों से दोनों बेटों के विदेश में सेटल होने के कारण 65 वर्षीय आनन्द एकाकी जीवन बिता रहे थे, क्योंकि पत्नी भी पंद्रह साल पहले ही स्वर्गवासी हो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 459 Share Devender Kumar Dahiya 20 Jul 2021 · 7 min read "कलयुग ' सन 2032, कलयुग अपनी चरम सीमा पर है। जहाँ मानव जीवन का 80% हिस्सा मशीनों पर निर्भर है। हथियार इंसान के लिए प्रमुख गैजेट्स मेँ सम्मिलित हो चुके है। विश्व... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 4 397 Share Kumar Kalhans 19 Jul 2021 · 7 min read घोसडी वाले। "घोसडी वाले" शुभम काफी देर से चैट कर रहा था। चैट करते करते उसकी उंगलियां और आंख दोनों थक गए तो उसने सेलफोन को किनारे रख दिया और कमरे को... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 345 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 19 Jul 2021 · 2 min read "आधी रात के बाद" वो शाम थी; ठीक ऐसे ही बारिश वाली; मौसम सर्द ; आधी रात के बाद का वक्त, सड़क बिल्कुल सुनसान, सड़क किनारे वो खड़ी; जैसे ही दूर हेडलाइट की रोशनी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 318 Share पूनम झा 'प्रथमा' 19 Jul 2021 · 9 min read मौसी माँ मौसी माँ "हेलो!.." "हेलो! समधन जी ! कैसी हैं आप ?" "बस ठीक ही हूँ । आप कहिये , आप कैसी हैं और बाकी सब घर में कैसे हैं ?"... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 3 1k Share Rani Singh 18 Jul 2021 · 10 min read रौशन गलियों का अंधेरा "अरी ओ चंचल...! सुन काहे नहीं रही हो ? कब से गला फाड़े जा रहे हैं हम और तुम हो कि अनठा के चुप बैठी हो। आ कर खा लो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 2 504 Share Ranjana Mathur 18 Jul 2021 · 2 min read तीन बार कहानी "तीन बार" "तू चाहे तो मेरे घर एक हफ्ते तक न आ, लेकिन तू आराम कर। " "सुन ले तारा।" "समझी कि नहीं।" "जी भाभी! समझी। कर लूंगी आराम.."... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 506 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 18 Jul 2021 · 2 min read सुगनी सुगनी " -------------- चिथड़ों में लिपटी हुई गरीबी , फटी एड़ियाँ, फटी वेशभूषा और इर्द-गिर्द भिनभिनाती हुई बहुत सी मक्खियाँ | जाने किस आशा में वो एकटक निहार रही है... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 3 383 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 18 Jul 2021 · 2 min read पतासी काकी " पतासी काकी " (लघुकथा) ----------------------- कहने को तो जमीन-जायदाद ,आलिशान घर और गाय-भैंसें सभी थी पतासी काकी के पास | लेकिन ! एक ही कमी खलती थी उसे ,... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 600 Share विवेक जोशी ”जोश” 18 Jul 2021 · 3 min read दधीचि की हड्डियां कृषि और पशुधन के कारण गांव हमेशा से ही समृद्धि का प्रतीक रहे हैं। विकसित और आधुनिक कहे जाने वाले शहरों का भरण पोषण भी गांव पर ही निर्भर है।... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 6 697 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 18 Jul 2021 · 4 min read कर्तव्य कर्तव्य ” कर्तव्य ” साठ बसंत देख चुकी ‘कमली’ को देखकर अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि वह जीवन के छह दशक पूरे कर चुकी है | वह घर के... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 1 410 Share Usha Sharma 18 Jul 2021 · 5 min read कहानी : "काश! ये संभव होता" ..... कहानी : काश.! ये संभव होता.... मैंने ईश्वर से समय को वही थाम भूतकाल में लौटने की शक्ति पा सब कुछ ठीक करने की ठान ली थी.... । क्या यह... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 2 283 Share Ranjana Mathur 18 Jul 2021 · 2 min read शीर्षक - जेब की मरम्मत "पापा आ गए" पिंकी ने दौड़ कर दरवाज़ा खोला। विजय जी चुपचाप अन्दर आए और टिफिन व बैग पास ही खड़े बेटे टिंकू को पकड़ाया। खुद ढीले हो कर पलंग... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 2 344 Share आलोक पांडेय 17 Jul 2021 · 3 min read "ममता वाले हाथ छुट गए" कैसे हम भूल गए कि हमकों सूखे बिस्तर पर सुलाकर वो खुद गीले में सो जाती थी। कैसे हम भूल गए कि अपने ख़ुद भूखे रहकर अपनी अमृत वाली छाती... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 6 792 Share DR ARUN KUMAR SHASTRI 17 Jul 2021 · 3 min read * सोच * डा. अरुण कुमार शास्त्री / एक अबोध बालक / अरुण अतृप्त शीर्षक - * सोच * मेरी लघुकथा का कथानक एक छोटा सा बच्चा , नाम दीपक, जिसका सम्पूर्ण परिवार... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 5 655 Share सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life) 17 Jul 2021 · 14 min read ब्रेकअप इन 22 डेज.... सुमित नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतारकर बाथरूम में बैठकर मोबाईल की रिंग का इन्तजार कर रहा था। बिजली की रॉड से हुआ गरम पानी कब का ठंडा हो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 4 368 Share Previous Page 28 Next