Pyar
प्यार से प्यार का सिलसिला कीजिए ।
वक्त जब भी मिले तो मिला कीजिए।
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कोई पर्दा ना हो दरमियां प्यार के।
खत्म सब बीच का फासला कीजिए ।
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मुझको तनहाई में याद आती तेरी।
हमसफर साथ में अब चला कीजिए।
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रात तारीक है, वस्ल की रात है।
शम्मा बन करके दिल में जला कीजिए।
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देख कर सारे दीवाने हो जाएंगे।
आप बनकर कली मत खिला कीजिए।
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आपका है सगीर, आपका सिर्फ है।
कोई शिकवा हो दिल में गिला कीजिए।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच