Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

आज दिवाकर शान से,

आज दिवाकर शान से,
करे गगन पर राज ।
हरी धरा पर ताप की,
गिरा रहा वो गाज ।।

सुशील सरना / 21-5-24

34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
शेखर सिंह
*मेरा आसमां*
*मेरा आसमां*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अपने साथ तो सब अपना है
अपने साथ तो सब अपना है
Dheerja Sharma
सतत् प्रयासों से करें,
सतत् प्रयासों से करें,
sushil sarna
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
Pratibha Pandey
आगे क्या !!!
आगे क्या !!!
Dr. Mahesh Kumawat
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
18)”योद्धा”
18)”योद्धा”
Sapna Arora
पौधरोपण
पौधरोपण
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
नव वर्ष
नव वर्ष
RAKESH RAKESH
मोहब्बत का पैगाम
मोहब्बत का पैगाम
Ritu Asooja
रूबरू मिलने का मौका मिलता नही रोज ,
रूबरू मिलने का मौका मिलता नही रोज ,
Anuj kumar
*Keep Going*
*Keep Going*
Poonam Matia
*माँ शारदे वन्दना
*माँ शारदे वन्दना
संजय कुमार संजू
उनके जख्म
उनके जख्म
'अशांत' शेखर
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Suryakant Dwivedi
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
Salman Surya
परमेश्वर का प्यार
परमेश्वर का प्यार
ओंकार मिश्र
तुमने मुझे दिमाग़ से समझने की कोशिश की
तुमने मुझे दिमाग़ से समझने की कोशिश की
Rashmi Ranjan
*मतलब सर्वोपरि हुआ, स्वार्थसिद्धि बस काम(कुंडलिया)*
*मतलब सर्वोपरि हुआ, स्वार्थसिद्धि बस काम(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
गीत - इस विरह की वेदना का
गीत - इस विरह की वेदना का
Sukeshini Budhawne
3116.*पूर्णिका*
3116.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
💫समय की वेदना💫
💫समय की वेदना💫
SPK Sachin Lodhi
साथ
साथ
Dr fauzia Naseem shad
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
Phool gufran
गुरु अंगद देव
गुरु अंगद देव
कवि रमेशराज
"वीक-एंड" के चक्कर में
*प्रणय प्रभात*
Loading...