Sanjeev Singh Language: Hindi 18 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sanjeev Singh 21 Mar 2021 · 1 min read लिख दूँ क्या भारत देश का नाम घमासान लिख दूँ । क्या सड़कों चौराहों को शमशान लिख दूँ । हम कहते हैं, हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई , अगर पक्का है तो पंडित को... Hindi · कविता 2 5 477 Share Sanjeev Singh 25 Feb 2021 · 1 min read ग़ज़ल:::::इश्क़ बहर ::: 2122 2122 2122 इश्क़ वालों को कभी, सुनता नहीं है, इश्क़ मंजिल, और कुछ दिखता नहीं है । जिस्म से तो दो नजर आते हैं, लेकिन, एक ना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 506 Share Sanjeev Singh 24 Feb 2021 · 1 min read एहसास हुए हम दूर रहकर भी तुम्हारे, कितने पास हुए हम । दिल में जो रखा तुमने, तुम्हारे ख़ास हुए हम । ना जाने कब तुमको, हमसे मुहब्बत हो गई , इल्म नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 347 Share Sanjeev Singh 1 Feb 2021 · 1 min read कुछ ख़त मोहब्बत के लिखे कुछ ख़त और कुछ बातें मोहब्बत की । ख़त में इज़हार है मेरा, दास्ताँ शिद्दत की । अगर तुम चाहो तो मुझे ठुकरा सकते हो , मुझे तो ख़ूब... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 23 77 906 Share Sanjeev Singh 25 Jan 2021 · 1 min read याद शहीदों की लाल किले के मस्तक पर, भारत का ध्वज लहराता है। वतन पर मिटे शहीदों की, रह-रह कर याद दिलाता है।। जब आती है बात राष्ट्र की, बूढ़ा भी शंख बजाता... Hindi · गीत 2 2 510 Share Sanjeev Singh 23 Jan 2021 · 1 min read दोहे तोल मोल कर बोल रे, कटुवाणी दे छोड़। आहत करके किसी को, यूॅं रिश्ते ना तोड़। इंसान की वाणी में , बसते हैं भगवान। मधुर वचन बोलकर तू, करले अनुपम... Hindi · दोहा 2 353 Share Sanjeev Singh 7 Jan 2021 · 1 min read अब बस करो कभी आसमान, तो कभी पायदान देखा करो। जात-पात, मज़हब छोड़ दो, इंसान देखा करो। मज़हबी नफ़रत फ़ैलाने वालों, अब बस करो, सर पे टोपी नहीं, दिल में हिंदुस्तान देखा करो।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 10 378 Share Sanjeev Singh 5 Jan 2021 · 1 min read फ़रेबी दोस्त फ़रेबी दोस्त को घर बुलाकर देख लो। साॅंप को कभी दूध पिलाकर देख लो। फ़िर भी दुश्मन में दोस्त दिखाई दे ग़र, तो अपनी आस्तीन हिलाकर देख लो। क्या उसकी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 4 316 Share Sanjeev Singh 29 Dec 2020 · 1 min read नया साल २०२१ साल दो हज़ार बीस, बवाल कर गया। लोगों की ज़िन्दगी, बेहाल कर गया। ऐसा नहीं कि सब के सब ग़रीब हुए, अस्पतालों को मालामाल कर गया। ग़रीब मज़दूर के हालात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 8 332 Share Sanjeev Singh 22 Dec 2020 · 1 min read शहर शहर की चकाचौंध रौनक, मजबूर करती है। और हमें अपने गाँव से बहुत दूर करती है। हमारे ख़्वाबों के शहर जैसा, शहर नहीं ये, यहाॅं की आब-ओ-हवा हमें,मग़रूर करती है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 311 Share Sanjeev Singh 21 Dec 2020 · 1 min read छूना है आसमाॅं रिश्तों में अहमियत ऑंखों की नमी बताती है। ज़िन्दगी में तन्हाई अपनों की कमी बताती है। इंसाॅं तू चाहे कितना भी ऊॅंचा आसमाॅं छू ले, तेरा वज़ूद, तेरी असलियत ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 305 Share Sanjeev Singh 21 Dec 2020 · 1 min read मिलने आते हैं जनाज़े पे तो अक्सर रूठे भी मिलने आते हैं। और मुंसिफ़ के यहाॅं झूठे भी मिलने आते हैं। चुनावों के मौसम में बाहर निकल कर देखा करो, पढ़े लिखों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 304 Share Sanjeev Singh 20 Dec 2020 · 1 min read वोटों का मौसम आया है बहर:: 2222 / 2222 / 222 चौराहों पर हमने दंगे देखे हैं। इस कुर्सी के भूखे नंगे देखे हैं। लगता है वोटों का मौसम आया है, हर दरवाज़े पे भिखमंगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 5 315 Share Sanjeev Singh 19 Dec 2020 · 1 min read याद क्यूॅं आती है टूटे दिल पे मुस्कुराने क्यूॅं आती है। उसकी याद मुझे सताने क्यूॅं आती है। माना उसके साथ दिन नहीं गुजरेंगे, फ़िर रात मुझे आज़माने क्यूॅं आती है। मैं तो हवा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 276 Share Sanjeev Singh 17 Dec 2020 · 1 min read ढूॅंढ़ लो कल क्या होने वाला है, आज में ढूॅंढ़ लो। इश्क़ कितना है, उसके मिज़ाज़ में ढूॅंढ़ लो। क्या बेवफ़ाई का मतलब नहीं समझते हो, जाओ जाकर, उसी दगाबाज़ में ढूॅंढ़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 302 Share Sanjeev Singh 17 Dec 2020 · 1 min read खफ़ा भी नहीं बहर:: 2212 / 2212 / 212 उसने नफ़रत की मैं ख़फा भी नहीं। मेरी मुहब्बत उसे पता भी नहीं। बेइंतहाॅं नफ़रत भला क्यूॅं उसे, इतनी गिरी मेरी अदा भी नहीं।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 6 622 Share Sanjeev Singh 17 Dec 2020 · 1 min read हो जायेंगे राम तुम्हारे माॅंगी होती मदद जो तुमने, बन जाते सब काम तुम्हारे, प्रभु के दर पर शीश झुका लो, हो जायेंगे राम तुम्हारे। अंधा लंगड़ा बाॅंझ भिखारी, सबका रखते भगवन ध्यान, जो... Hindi · गीत 2 557 Share Sanjeev Singh 16 Dec 2020 · 1 min read कोरोना कोरोना ****** दिनांक: 16/12/2020 धरातल पर आज उतरी , विपदा अत्यंत ही भारी है। बेमौत मर रहे हम सारे , कोरोना वो महामारी है। बंद हुए पिंजरे में मानो ,... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 40 75 1k Share