Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना

कोरोना
******
दिनांक: 16/12/2020

धरातल पर आज उतरी , विपदा अत्यंत ही भारी है।
बेमौत मर रहे हम सारे , कोरोना वो महामारी है।

बंद हुए पिंजरे में मानो , ऐसे बॅंधे हैं नर और नारी।
मिलकर हमको चलना होगा, आज यही है ज़िम्मेदारी।

मिटा भेद अमीर ग़रीब का, एक सा दर्द एक सी पीड़ा।
सदियों से जो कर ना पाया, कर गया छोटा सा कीड़ा।

मानव को मानव ना समझा, कितना बड़ा अहम है तेरा।
एक विषाणु भी ना सॅंभला, इतना छोटा वज़ूद है तेरा।।

कभी स्वप्न देखा ना होगा, ऐसे भी जीवन ठहरेगा।
अब तो समझ ले, हे मानव,कब तक कुदरत से खेलेगा।।

अपने जीवन के लिए, हम सबको नियम निभाना होगा।
मानवता के हित में आज, मिलकर कदम बढ़ाना होगा।।

घेरा जग को महामारी ने, विक्षिप्त हुए सब नर नारी।
बुद्धि का प्रयोग ही कर लो, वरना पड़ेगा हम पर भारी।।

कठिन समय है मेरे मित्रों, पर डरना नहीं ज़रूरी है।
कुछ ही दिनों की बात है यारों, मान नहीं, मजबूरी है।।

लड़ रहे हम बिना दवा के, मानव कितना लाचार है।
क्यों इतना डरता है मानव, तू स्वयं इसका उपचार है।।

दूर-दूर की सलाम नमस्ते, एक साथ जमा ना होना।
मास्क लगाकर ध्यान रखना, नहीं टिकेगा ये कोरोना।।

संजीव सिंह ✍️
(स्वरचित रचना ©️®️)
16/12/2020
द्वारका, नई दिल्ली

40 Likes · 75 Comments · 1509 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
निकल गया सो निकल गया
निकल गया सो निकल गया
TARAN VERMA
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
बापक भाषा
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
शेखर सिंह
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
Shweta Soni
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
परीक्षा
परीक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
" शिक्षक "
Pushpraj Anant
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
Ravi Prakash
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
manjula chauhan
3047.*पूर्णिका*
3047.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जिंदगी और जीवन में अंतर हैं
जिंदगी और जीवन में अंतर हैं
Neeraj Agarwal
आ ख़्वाब बन के आजा
आ ख़्वाब बन के आजा
Dr fauzia Naseem shad
प्रेम की पेंगें बढ़ाती लड़की / मुसाफ़िर बैठा
प्रेम की पेंगें बढ़ाती लड़की / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
दोहा-प्रहार
दोहा-प्रहार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुड़े पन्नों वाली किताब
मुड़े पन्नों वाली किताब
Surinder blackpen
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बदल गए तुम
बदल गए तुम
Kumar Anu Ojha
बेशर्मी के हौसले
बेशर्मी के हौसले
RAMESH SHARMA
तुंग द्रुम एक चारु 🌿☘️🍁☘️
तुंग द्रुम एक चारु 🌿☘️🍁☘️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
महान् बनना सरल है
महान् बनना सरल है
प्रेमदास वसु सुरेखा
एक मेरे सिवा तुम सबका ज़िक्र करती हो,मुझे
एक मेरे सिवा तुम सबका ज़िक्र करती हो,मुझे
Keshav kishor Kumar
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
शायद शब्दों में भी
शायद शब्दों में भी
Dr Manju Saini
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
जीवन एक संगीत है | इसे जीने की धुन जितनी मधुर होगी , जिन्दगी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* सिला प्यार का *
* सिला प्यार का *
surenderpal vaidya
Loading...