Rashmi Saxena 20 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rashmi Saxena 15 Jul 2018 · 1 min read सफ़ीना गिरफ़्त से ज़िन्दगी की किधर जाएगा ले कर सफ़ीना भवँर में उतर जाएगा क़ैद में जिनकी सूरज, हो उनको ख़बर चराग़ है तो कुछ रोशनी कर जाएगा हैं ग़म की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 3 416 Share Rashmi Saxena 3 Jun 2018 · 1 min read तुम्हारी जादूगरी हमने पत्थरों में बो दिए हरियाली के बीज सींचे नमक के पानी से तैयार किये बादलों के जंगल ताकि बुझाई जा सके धरती की प्यास तुमने रातों रात मशीनी घोड़ो... Hindi · कविता 397 Share Rashmi Saxena 15 May 2018 · 2 min read फन्दा कुछ ख़ास फ़र्क नही पड़ा तुम्हारे चले जाने से पेड़ों पर लगे छोटे आम अब थोड़े बड़े होकर पीले होने की तैयारी में हैं नन्ही चिड़िया आकर फुदक फुदक कर... Hindi · कविता 1 1 250 Share Rashmi Saxena 13 May 2018 · 1 min read जगत की माएँ बुनती ही रहती हैं जगत की माएँ दुआएँ अपने बच्चों के लिए दिन रात युगों युगों से उसी गति से बुनती आ रही हैं तोड़ कर फेंक दी जाती हैं... Hindi · कविता 1 553 Share Rashmi Saxena 10 May 2018 · 1 min read ख़ामोशियाँ बड़ी लंबी जुबान की होती है ये ख़ामोशियाँ शब्दों की बैसाखियों के बिना ही बहुत दूर तक चली जाती हैं कच्ची पक्की अंजान पगडंडियों पर निकल पड़ती हैं मंजिल की... Hindi · कविता 274 Share Rashmi Saxena 6 May 2018 · 1 min read बहुत कुछ पार कर जाते हैं बहुत कुछ पार कर जाते हैं हम उम्र के लंबे पड़ाव वक़्त की पिघलती कतारें ईर्ष्या, क्रोध,द्वेष के घने, स्याह जंगल संवेदनाओं की शून्यता दंभ के ऊँचे दुर्गम पहाड़ मर्यादाओं... Hindi · कविता 358 Share Rashmi Saxena 1 May 2018 · 1 min read सृजन उभरती है मानस पटल पर जब भी कोई कविता मानों अभी अभी पी ली हो कोई सरिता बहा कर ले जाती है ख़्यालों को अपनी चंचल तरंगों के साथ टकराती... Hindi · कविता 527 Share Rashmi Saxena 28 Apr 2018 · 2 min read मेरी कविता कुछ ख़ामोश सी रहने लगी है आजकल मेरी कविता चाहती तो है बात करना जाकर बगीचे में लदे गुंचों की डालियों से, पर सुन लेती है जब किसी कोमल कली... Hindi · कविता 247 Share Rashmi Saxena 9 Apr 2018 · 1 min read कागज़ के फूल नाम व व्यवसाय के साथ "समाज सेवक" की नेमप्लेट से सुशोभित घर के बाहर की दीवार कागज़ के फूलों से सजा फूलदान, अभिमान से सिर ऊँचा किये सजी हैं गगनचुंबी... Hindi · कविता 395 Share Rashmi Saxena 1 Apr 2018 · 1 min read इतना सब कुछ मुठ्ठी भर ठंडी हवा का झोंका भर दी थी जिसने मेरे तन मन में असीम शीतलता और जीने की नई उमंग अपार ऊर्जा से भरी भोर की पहली सुर्ख किरण... Hindi · कविता 267 Share Rashmi Saxena 27 Mar 2018 · 1 min read हादसे कालखंड के संविधान से मुक्त नियति की परिधि से घिरे देश,धर्म,जाति राजा रंक की सीमा से परे लौकिक,अलौकिक कानूनों से मुक्त अनेकानेक मस्तिष्क में उठते तूफानों के बवंडर सागरीय ज्वार... Hindi · कविता 231 Share Rashmi Saxena 22 Mar 2018 · 1 min read अभागिन विधवा हुई है तू तोड़ दे सब सब चूड़ियाँ दादी ने साफ़ कह दिया था पोंछ दे सिंदूर,माथे की बिंदिया बता रहीं थीं माँ, बुआ और पड़ोस की विधवा मौसी... Hindi · कविता 503 Share Rashmi Saxena 17 Mar 2018 · 1 min read इंतज़ार इश्क़ तुझे भी है कोई अहसास तो जताया होता तू न आता न सही कोई ख़त तो आया होता ख़्वाहिशें चाँद सूरज की दिल ने की ही न थी टूटा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 370 Share Rashmi Saxena 14 Mar 2018 · 1 min read रिश्ते रिश्तों के तानेबाने में, जीवन का है हर तार बुना कुछ रिश्तों में हम जीते हैं, कुछ रिश्ते हममें जी जाते हैं। कहीं ममता का स्पर्श भरा, कहीं जीवन अस्तित्व... Hindi · कविता 497 Share Rashmi Saxena 8 Mar 2018 · 1 min read समानता नारी हूँ तो नारी की पहचान चाहिए उड़ सकूँ बेफिक्र वो आसमान चाहिए बेटी बेटों में फर्क नहीं फिर जन्म पे उनके क्यों शर्माते हो बेटों के जन्म पे गर्व... Hindi · कविता 534 Share Rashmi Saxena 8 Mar 2018 · 1 min read स्त्री अप्सरा,गणिकाएँ, गायिकाएँ, नर्तकी, रहीं देह का बस अवदान, गजगामिनी,हिरनी,सुकुमारी,चंद्रमुखी, गढ़ लिए सौंदर्य प्रतिमान, मातृ, ,पुत्री, भगिनी, अर्धांगिनी कर्तव्यों में बंट गए उपनाम, स्त्री का स्त्री में तनिक न छोड़ा भान,,,,,,,,,,,,! Hindi · कविता 535 Share Rashmi Saxena 3 Mar 2018 · 2 min read सत्य वो मेरे अंदर पड़ा पड़ा कहीं कुलबुला रहा है बाहर आने की कशमकश में पूरा दम लगा रहा है थोड़ा सा भी सुराख़ न मिलने पर पड़ा पड़ा अंदर ही... Hindi · कविता 451 Share Rashmi Saxena 28 Feb 2018 · 1 min read नदी के दो किनारों सा रिश्ता अपने अश्क़ों को,लबों पर सजाने लगे हैं हम, दाग़ उन पर न लगे कोई,मुस्कराने लगे हैं हम, वो रुसवा न हो जाये, मेरे नाम से जमाने में ख़तों में अपने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 218 Share Rashmi Saxena 25 Feb 2018 · 1 min read मैं तुम और ये अनन्त व्योम मैं तुम और हमारे बीच फैला ये अनन्त व्योम मैं जानती हूँ पसंद है तुम्हें ये हल्का नीला सा आसमान जिसमें बीच बीच सफेद बादलों के पैबंद टके हुए हो... Hindi · कविता 370 Share Rashmi Saxena 23 Feb 2018 · 1 min read मेरा स्त्रीत्व नहीं ये डर नहीं है मुझे कि तुम परास्त कर दोगे मुझे मेरी सारी शक्तियों के साथ, मेरी अस्मिता के तार तार करके जमा लोगे मुझ पर अपना आधिपत्य मुझे... Hindi · कविता 233 Share