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27 Mar 2018 · 1 min read

हादसे

कालखंड के संविधान
से मुक्त

नियति की
परिधि से घिरे

देश,धर्म,जाति
राजा रंक की सीमा
से परे

लौकिक,अलौकिक
कानूनों से मुक्त

अनेकानेक
मस्तिष्क में उठते
तूफानों के बवंडर

सागरीय
ज्वार भाटा सा
उतार चढ़ाव

नेत्र की
सीमाओं को लाँघता
नदियों का सैलाब

हृदय की
बुनियाद को हिलाता
कोई बड़ा भूचाल

धैर्य के
पाषाणों को
खंडित करता भूकंप

उजालों को
निगलते ग्रहण

समूचे जीवन को
विध्वंस करते
हादसे
कभी अकेले नहीं आते

Language: Hindi
231 Views
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