Kunal Prashant Tag: कविता 18 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kunal Prashant 2 Jul 2023 · 1 min read एक शाम ठहर कर देखा एक शाम ठहर कर देखा, समा की खूबसूरती, जैसे तुम्हारी यादें मसरूफ़ियत के बाद रही है। सब जस के तस, चाँद, पेड़, तालाब, आसमान, साल हो गए, पर देखो तुम्हारा... Hindi · कविता · मुक्तक 1 172 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read हँसता हुआ चेहरा, यू रूठ गया. हँसता हुआ चेहरा, यू रूठ गया. माँ से मिलने वाला लड़का, रास्ता भूल गया.. घर से दूर न रहने वाला लड़का. पैसा मिलते ही बाप की लाठी भूल गया.. राह... Hindi · कविता 111 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read न जानें, उस से क्या हैं! न जानें, उस से क्या हैं! मुस्कुराता मन, बेवज़ह हैं। खोया रहता, जाने कहाँ! मन भी ना, सोचता बेइंतहा हैं। रंगहीन रहती हैं दुनियां! एक लफ्ज़ उसकी, कर देती रंगीन... Hindi · कविता 88 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read कैसे क्यों की दुविधा में सारा जीवन कट जाता है कैसे अच्छा वक्ता भी हकलाने लग जाता है क्यों मन को हल्का करना भी भारी बन जाता है। कैसे भरी दोपहरी में भी बादल अंधेरा कर जाता है क्यों सबके... Hindi · कविता 125 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read एक रोज़ सारी कविताएँ पूरी हो जायेंगी एक रोज़ वे जर्जर कविताएँ भी अर्थ देने लगेंगी, जिनका आशय शायद ही कोई समझ पाया हो । टूटे-फूटे शब्दों वाली पङ्क्तियाँ भी पूरी हो जायेंगी, जिन्हें पिरोते वक्त व्याकुलता... Hindi · कविता 92 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read शून्य बनी इकाई है आंखो के पलको पर जब राज सपनों का होता था नींद न आती थी रातों को, हर रात सवेरा होता था एहसासों को रखकर बक्सों में ताले अपने होते थे... Hindi · कविता 97 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read जगह समेट बटोर चले जाने पर शेष रह जाता है वह जगह जो हल्का होना नहीं चाहता दब जाना चाहता है दुबारा नित दिन सोचता रहता बीते स्नेह तलाशता रहता चले... Hindi · कविता 95 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read जाने दिया मन को संभालते हुए, मैंने उसे जाने दिया। हृदय को लुभाता स्नेह, रखा नहीं जाने दिया। बचते-बचाते, छुपाते उसे, हठता को भी जाने दिया। चिंताओं की शोर गूंज को, क्षितिज... Hindi · कविता 274 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read दो पंक्तियां लिख तो दू गजलें मैं भी लम्बी ढेर सारी मगर दो पंक्तियों में सहेजना बेहद खूबसूरत है जैसे कितना भी लीपा पोती कर ले लड़कियां बस एक मद्धम मुस्कान सहेजना... Hindi · कविता 107 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read मुस्कुरा ना सका आखिरी लम्हों में कहानियां खत्म हो जाती है, इसलिए मैंने एक बार फिर कविता लिखी। खत्म होने का डर सदा रहा मेरे अंदर, शायद इसलिए भी मन में रह गयी है स्मृतियाँ। निगाहों... Hindi · कविता 134 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read एक पूरी सभ्यता बनाई है एक पूरी सभ्यता बनाई है, तुम्हारे नाम, हर एक रास्ता, तुम्हारें ख्यालों की तमाम यात्राएं है। हर वह जगह इमारतें बनाई, जहाँ भी तुम्हें पाया, बिल्कुल मन की तरह बनाई... Hindi · कविता · मुक्तक 168 Share Kunal Prashant 12 Jun 2023 · 1 min read पुरातत्वविद कितना कुछ बचाया जा सकता था, विलुप्त हो गए नदियों, पहाड़ो या पंछियों को, किसी का बचपन हो या एक पूरी सभ्यता को। संजोए रखना, कितना कठिन होता है, समस्त... Hindi · कविता 1 178 Share Kunal Prashant 31 May 2023 · 1 min read पुनर्जन्म मैं जो हूँ पुनर्जन्म लेता नहीं, जो कुछ भी लिखता हूँ वो सब करता नहीं। शोषण होते देख काश! मुँह फेरता नहीं, हां, मैं जो हूँ कुछ करता नहीं। उस... Hindi · कविता · मुक्तक 166 Share Kunal Prashant 8 Feb 2022 · 1 min read तुम्हें नहीं मैंने जब-जब लिखना चाहा, दौड़ते-भागते संसार को चाहा, तुम्हें नहीं। उपवन में मुस्कराते वृक्षों को लिखा, पेड़ों से पत्ते अलगाते पतझड़ को लिखा, तुम्हें नहीं। बरगद की लताओं में झूलते... Hindi · कविता 279 Share Kunal Prashant 6 Aug 2018 · 1 min read पहला इश्क ए प्रस्ताव हा वक़्त लगता है दबी बातो को जुबां पे लाना हड़बड़ नहीं फुरसत में सुनना तब ये दास्ताना बस अब और नहीं संभलेंगे मेरे ख्यालात बस अब कहना ही है... Hindi · कविता 291 Share Kunal Prashant 6 Aug 2018 · 1 min read याराना : दोस्ती का परेशानियां तुम कहा गुम हो जाती हो मेरे यार मेरी मुस्कुराहट की वजह पूछा करते है अरे मेरे दर्द ए दिल तुम कहा चले जाते हो मेरे यार मुझसे इस... Hindi · कविता 400 Share Kunal Prashant 14 Mar 2018 · 1 min read " न जाने कितनो का हाथ वही " निर्मम सिमट सिकुड़ वो सोया था अंधेरे चौराहेे चौखट पे वो खोया था चादर ओढ़े सिर छुपाए, पांव फिर भी निकली थी सन सनाती हवा चली पैरो को छू, निगली... Hindi · कविता 260 Share Kunal Prashant 14 Mar 2018 · 1 min read "अभी तो चले थे अपने नन्हे कदम" अभी अभी तो चले थे अपने नन्हे कदम न जाने क्यों बरसाए कदमों में उसने बम शायद मैने ही कुछ बिगाड़ा होगा भरे महफ़िल में कभी पिछाड़ा होगा देख ले... Hindi · कविता 509 Share