Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2023 · 1 min read

जगह

समेट बटोर चले जाने पर
शेष रह जाता है वह जगह
जो हल्का होना नहीं चाहता
दब जाना चाहता है दुबारा
नित दिन सोचता रहता बीते स्नेह
तलाशता रहता चले गए चीजों को
सत्यता को भली भांति जानते हुए
की ठहरता नहीं कोई एक जगह
समेटते वक्त भी नहीं
ले जा सका गया
उसपे पड़े निशानों को,
दरकते दरारों को
किसी के आने पर भी,
कोई नहीं भाता
न ही जाती निशाने,
जिसे चले जाना था
इन्हे हटाते हटाते,
बदल जाना पड़ता है
प्रयासों के बावजूद,
खुद को रोके रखा है
जाते हुए लोगों को देख
बस वो निहारता है
मंद मंद मुस्कुराता है
और स्थिर हो जाता है

Language: Hindi
61 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
Ravi Prakash
सच तो हम इंसान हैं
सच तो हम इंसान हैं
Neeraj Agarwal
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
ढ़ांचा एक सा
ढ़ांचा एक सा
Pratibha Pandey
चंद्र शीतल आ गया बिखरी गगन में चाँदनी।
चंद्र शीतल आ गया बिखरी गगन में चाँदनी।
लक्ष्मी सिंह
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
Shweta Soni
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल
पूर्वार्थ
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
दुष्यन्त 'बाबा'
हम कोई भी कार्य करें
हम कोई भी कार्य करें
Swami Ganganiya
बारिश
बारिश
Punam Pande
पहला अहसास
पहला अहसास
Falendra Sahu
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
Rituraj shivem verma
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है "रत्न"
गुप्तरत्न
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
फुटपाथ
फुटपाथ
Prakash Chandra
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
sudhir kumar
अनोखा दौर
अनोखा दौर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अहंकार
अहंकार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"भूल गए हम"
Dr. Kishan tandon kranti
फागुन
फागुन
पंकज कुमार कर्ण
रिशते ना खास होते हैं
रिशते ना खास होते हैं
Dhriti Mishra
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
जब-जब तानाशाह डरता है
जब-जब तानाशाह डरता है
Shekhar Chandra Mitra
🙅दोहा🙅
🙅दोहा🙅
*Author प्रणय प्रभात*
नीर
नीर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
नया सवेरा
नया सवेरा
AMRESH KUMAR VERMA
अच्छा इंसान
अच्छा इंसान
Dr fauzia Naseem shad
मुझको मेरी लत लगी है!!!
मुझको मेरी लत लगी है!!!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...