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6 Aug 2018 · 1 min read

पहला इश्क ए प्रस्ताव

हा वक़्त लगता है दबी बातो को जुबां पे लाना
हड़बड़ नहीं फुरसत में सुनना तब ये दास्ताना

बस अब और नहीं संभलेंगे मेरे ख्यालात
बस अब कहना ही है ये बरसों पुरानी बात

मिलकर उनसे ऐसे सुन्न पड़े रहते हो
कुछ रहता है होश या घूमते हो इतिहास

हर बार की बस यही इल्तिज़ा पुरानी है
खेर लगता है उनकी अब तक नहीं कोई कहानी है

अब नहीं मुझको वो घंटो की अनकही बाते छिपानी है
सामने खड़ी हो वो मदहोश ऐसी बात बतानी है

बस अब यही बात है कि कौन सी बात कब बतानी है
कुछ भी कह देता हूं थोड़ी हिम्मत भी तो जुटानी है

ये क्या आंखो में उदासी चेहरे पे छाई उनकी चुप्पी है
सब ठीक तो था! इतने में मिलती किसी की झप्पी है

चेहरे पे खुशी देख आंखो में मेरी कयामत छाई है
फिर किसी मेहरबान ने कहा ये लड़की का भाई है

अब डर है कहीं खो न जाए उनके भी ख्यालात
इजहार ए मोहब्बत कर देता हूं घुसे पड़े या लात

अब और नहीं आज मौसम बड़ा सुहावना है
मुझको भी तो दफ्न राज उससे जो कहना है

सामने आयी वो पास बैठी बाते भी की
इजहार ए इश्क होना ही था उसने कुछ बात कही

एक सख्श था उनका चाहने वाला बड़ा अलबेला
मुझको तो बर्दाश्त नहीं ये अब मैं फिर अकेला

दोपहर का वक़्त था आंखो में मेरी चमक दौड़ पड़ी
रात 9 से 1 का वक़्त था घर वालो की इश्क पड़ी ।

Language: Hindi
266 Views
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