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12 Jun 2023 · 1 min read

एक रोज़ सारी कविताएँ पूरी हो जायेंगी

एक रोज़ वे जर्जर कविताएँ भी अर्थ देने लगेंगी,
जिनका आशय शायद ही कोई समझ पाया हो ।

टूटे-फूटे शब्दों वाली पङ्क्तियाँ भी पूरी हो जायेंगी,
जिन्हें पिरोते वक्त व्याकुलता में छोड़ा गया हो ।

उन अधूरी पङ्क्तियों को भी सुरों में बुना जायेगा,
जिन्हें किसी कोने में भविष्य के लिए सहेजा गया हो।

एक दिन खिलखिलाती-मुस्काती जाएँगी पङ्क्तियाँ
मानो विरही पङ्क्तियों से अवसाद निचोड़ा गया हो।

एक रोज़ सारी अधूरी कविताएँ पूरी हो जायेंगी,
जिन्हें अकेले में सपनों की तरह पिरोया गया हो ।

दीखती हैं ऐसे अरसे पहले आहुति दे चुकी पङ्क्तियाँ
मानो उन्हें जीवन के वरमाल से सजाया गया हो ।

उस रोज़ ये पङ्क्तियाँ भी पूरी कविता बन जायेंगी
जिस रोज़ सारे ढकोसलों को झुठलाया गया हो ।

Language: Hindi
60 Views
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