Pt. Brajesh Kumar Nayak Tag: मुक्तक 58 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pt. Brajesh Kumar Nayak 16 Nov 2018 · 1 min read रोमांस है उम्र क्या,जब जग गया प्रेमांस है ? मस्त मन है, जवानी को आँस है | हँसा बुड्ढा ज्ञान बनकर, जवाँ दिल, रूप-लिप्सा वस मिले,रोमांस है | ....... पं बृजेश कुमार... Hindi · मुक्तक 3 1 846 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 29 Mar 2018 · 1 min read सदा बढता है,वह 'नायक', अमल बन ताज ठुकराता| जो नर-मन खुशमिजाज़ी का सुघड़ अंदाज बन जाता | उसी जीवन में आनंदी भरा गुणराज आ जाता | न जाने आगे-पीछे का, निरंतर आज में रहकर | सदा बढता है,वह... Hindi · मुक्तक 1 1 630 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Mar 2018 · 1 min read कहाँ तुम पौन हो निज गिरेवाँ झाँक,जानो कौन हो| अहंकारी या सजगता-गौन हो | सूत्र कहता,स्वयं को पहचान कर | जो बढोगे,फिर कहाँ तुम पौन हो | ......................................... Pt Brijesh Nayak (बृजेश कुमार नायक... Hindi · मुक्तक 2 1 700 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 2 Sep 2017 · 1 min read कर्म-पथ से ना डिगे वह आर्य है। सजग कर दे राष्ट्र को आचार्य है । गुरु वही जो आत्मपथमय कार्य है । रीढ ,वह ही लोक की बनता सदा। कर्म-पथ से ना डिगे वह आर्य है ।... Hindi · मुक्तक 2 1 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 1 Sep 2017 · 1 min read प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से शुभ सुहिंदुस्तान हूँ, देखो मुझे आराम से । गुलामीं के निशा, दर्दीले-जवाँ पैगाम से । घाव गहरे दिए पर, मुस्कान का आलोक गह प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम... Hindi · मुक्तक 2 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 21 Jun 2017 · 1 min read 🚩अमर काव्य हर हृदय को, दे सद्ज्ञान-प्रकाश ✒️ लेखन वह, जो राष्ट्रहित- सजग चेतनाकाश देकर, बने सु प्रीति सह मातृभूमि-उल्लास| सहजरूप गह, दिव्यता का छूू ले उत्कर्ष| अमर काव्य हर हृदय को, दे सद्ज्ञान-प्रकाश| .......................................................... "जागा हिंदुस्तान... Hindi · मुक्तक 621 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 5 May 2017 · 1 min read जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का तरुण जाग जाए, तब विकसित राष्ट्र,भाल छूता विकास का। अगर सो गया, भ्रम ,हिंसा औ अवनतिमय दुश्चक्र नाश का। जस मानव,वैसा स्वदेश है,सत्य बात सुनिए सुविज्ञ जन। जगे जवानी तब... Hindi · मुक्तक 498 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 4 May 2017 · 1 min read किंतु गह सद्ज्ञानरूपी लोक लो/ वही तो नवराष्ट्र का उल्लास है रोक सकते हो मुझे, तो रोक लो बढ़ रहा हूँ, चेतना आलोक लो काट डालो तुम हमारे अस्त्र सब किंतु गह सद्ज्ञानरूपी लोक लो चेतना सद्ज्ञान में ना त्रास है... Hindi · मुक्तक 568 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 3 May 2017 · 1 min read आ सजाऊँ भाल पर चंदन तरुण चेतनामय लोकहित जागो निपुण। धरणि पर बैकुंठ का हो अवतरण। राष्ट्र पुलकित कहेगा सम्मान से। आ सजाऊँ भाल पर चंदन तरुण। ़़़़़़़़़़़़़:़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ● उक्त मुक्तक को "जागा हिंदुस्तान चाहिए" काव्य... Hindi · मुक्तक 2 1 859 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 1 May 2017 · 1 min read सुबह ना आए, सुजन यदि दीन है| चेतना बिन नर ,कहाँ स्वाधीन है | ज्ञानमय आलोक तज,दमहीन है | तम जहाँ पर है, वहाँ पर कभी भी सुबह नाआए,सुजन यदि दीन है | बृजेश कुमार नायक "जागा... Hindi · मुक्तक 701 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 1 May 2017 · 1 min read वह सु रचना देश का सम्मान है । राष्ट्रहित गह दिव्यता,दे चेतना । छाँट दे जो सहज में जन-वेदना । वह सु रचना देश का सम्मान है। छिपी हो जिसमें सजग संवेदना । रचनाकार-बृजेश कुमार नायक "जागा हिंदुस्तान... Hindi · मुक्तक 593 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 29 Apr 2017 · 1 min read सुप्त तरुण निज मातृभूमि को हीन बनाकर के विभेद दें। आत्मशुद्धिमय सजग सिपाही, बनकर युवजन लक्ष्य भेद दें। बिना जागरण के स्वदेश को भारऔर तम- द्वंद- खेद दें। समझ न सके राष्ट्र की पीड़ा कैसे कह दें सद्ज्ञानी है। सुप्त... Hindi · मुक्तक 564 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 28 Apr 2017 · 1 min read 🚩परशु-धार-सम ज्ञान औ दिव्य राममय प्रीति परशु-धार सम-ज्ञान औ दिव्य राममय प्रीति के शुभ सुंदर मिलन-सम परशुराम की नीति| सदा बीरता की सुगति, सहित सघन शिव-भक्त | इसीलिए तो हो गई, अमर,कीर्ति-प्रभुरीति| ............................................................. बृजेश कुमार नायक... Hindi · मुक्तक 990 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 27 Apr 2017 · 1 min read प्रगतिमय सद्कोश भारत,मानव सुगति-विज्ञान का निज रुधिर में हिंदी बसी, उर भाव देता ध्यान का| कुछ भी कहो, हम ना सहेंगे ,बोझ अब अज्ञान का | संस्कृति हमारी विश्व को करती सु चेतन, दीप्ति है|... Hindi · मुक्तक 621 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 26 Apr 2017 · 1 min read तरुण जाग जाए तरुण जाग जाए स्वराष्ट्र का, तब ही तो सचमुच विकास है | जन जन के बंधुत्व रूप का उच्च भाल, उर का प्रकाश है | उच्च सजगता का सुवास सह... Hindi · मुक्तक 1 654 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 25 Apr 2017 · 1 min read कलम कलम लिख दे,गीत गाए भारती| आम-जन दौड़े-उतारे आरती| दिव्यता देती, मनुज को प्रीति कब? जब निशा, ज्ञानग्नि से जल हारती| नर, तभी यश-मान का शुभ भाल है | सजगता के... Hindi · मुक्तक 4 4 769 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 24 Apr 2017 · 1 min read 🚩सहज बने गह ज्ञान,वही तो सच्चा हीरा है । जो विष को पीना जाने, वह ही तो मीरा है। मूरख के आगे, अक्ली की बोली तीरा है। कड़क वाक् से सीख ग्रहण कर लेता जो तज-ताप। सहज बने गह... Hindi · मुक्तक 1 1 774 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 15 Apr 2017 · 1 min read तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय। तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय । शरम से आँखें झुकाता है प्रलय । जाग ! सद्नायक बने औ बना दे। राष्ट्र-तम पर अरुण-आभा का निलय। -------------------------------------------- बृजेश... Hindi · मुक्तक 4 828 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 12 Apr 2017 · 1 min read खींचो यश की लम्बी रेख 'नायक' अपनी छवि को देख। लिखोआप मानवता लेख । छोड़ ईर्षा-भ्रम का थैला । खींचो यश की लम्बी रेख । ----------- ●मेरी कृति "पं बृजेश कुमार नायक की चुनिन्दा रचनाएं"... Hindi · मुक्तक 1 1 711 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 10 Apr 2017 · 1 min read मुस्की दे, प्रेमानुकरण कर लेता हूँ बैरी से भी ज्ञान ग्रहण कर लेता हूँ । अमल भाव में चार चरण कर लेता हूँ। दुख में भी है बोध, सजग 'नायक' बनकर। मुस्की दे, प्रेमानुकरण कर लेता... Hindi · मुक्तक 2 1 801 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 7 Apr 2017 · 1 min read फूल मैं/ प्रीति के अनुकूल-सा दोपहर की धूल में, पड़ा,दूँ सुख-चूल मैं| गम न, मुझको रौंद दो| पैर तुम ,तो फूल मैं| दिव्यता की चूल-सा| सुगंधित गुण-फूल-सा| भारतमय उपवन है| प्रीति के अनुकूल-सा| बृजेश कुमार... Hindi · मुक्तक 743 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 6 Apr 2017 · 1 min read तभीआनंदित हृदयअविराम हो | जागरण दीपक बनो, सम्मान हो | विचारों की सुगति की पहचान हो | स्वयं को विकसित करो, निज तम हरो | तभी आनंदित हृदयअविराम हो | बृजेश कुमार नायक "जागा... Hindi · मुक्तक 560 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 19 Mar 2017 · 1 min read फूल-सम हर हाल पर/ प्रीति हिंदुस्तान बन (1) फूल-सम हर हाल पर ........................... द्वंदमय जग-डाल पर, ज्ञान-कंटक ख्याल कर | फूलिए सुबोधी बन| फूल-सम हर हाल पर | (2) प्रीति हिंदुस्तान बन .......................... देश का सम्मान बन... Hindi · मुक्तक 627 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 18 Mar 2017 · 1 min read भाव, सघन चेत का/ फूल हँसें एक बन (1) भाव,सघन चेत का ..................... फूल,शुष्क खेत का| गम न कभी रेत का| गुण, सुगंध दे बने| भाव,सघन चेत का | (2) फूल हँसें एक बन ...................... राष्ट्रहित सु-नेक बन|... Hindi · मुक्तक 743 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 18 Mar 2017 · 1 min read कहीं से न पौन है|/ज्ञान-प्रेम भक्त बन| (1) कहीं से न पौन है ....................... ज्ञान की सु गोन है| सहज और मौन है| 'नायक'वह प्रेममय| कहीं से न पौन है| ( 2) ज्ञान-प्रेम-भक्त बन ....................... नहीं मोह-ग्रस्त... Hindi · मुक्तक 529 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 17 Mar 2017 · 1 min read निज उर-तकदीर पर/सुबुधि ज्ञान हीर कर | रो मत जग-पीर पर| सुबुधि, ज्ञान-हीर कर| आत्म-सुख लिखो स्वयं| निज उर-तकदीर पर| बृजेश कुमार नायक "जागा हिंदुस्तान चाहिए" एवं "क्रौंच सुऋषि आलोक" कृतियों के प्रणेता नि - सुभाष नगर... Hindi · मुक्तक 571 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 17 Mar 2017 · 1 min read फूल हूँ नेह-रूप चूल हूँ | आनंदी मूल हूँ | जागरण-सु तूल बन | हसूँ, क्यों कि फूल हूँ| बृजेश कुमार नायक जागा हिंदुस्तान चाहिए एवं क्रौंच सुऋषि आलोक कृतियों के प्रणेता... Hindi · मुक्तक 562 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 13 Mar 2017 · 1 min read अनुपम प्रहलाद-प्रीति गह दिल सचमुच आनंदी मीर बना जब सात रंग मिल एक हुए, जल गई फाँस, मन धीर बना | उड़ता गुलाल भी थिरक-थिरक ऋतुनाथ-नेह गह हीर बना| रोमांच, रोंगटे खड़े हुए ,तन सुहृद-रंगमय चमन हुआ |... Hindi · मुक्तक 611 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 8 Mar 2017 · 1 min read अमन हिंद की महिलाएँ हैं ,प्रेममयी मुस्कान हैं अमन, हिंद की महिलाएँ हैं, प्रेममयी मुस्कान है| बेटी, माता, पत्नीरूपी सुंदर अमल वितान हैं | पावन मंदिर अपनापन का, तथा भाव आकाश बन नेह लुटातीं, सदा सुपावन जीवन का... Hindi · मुक्तक 861 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 4 Mar 2017 · 1 min read सद् गंध हूँ चमन में, सद्प्रेममय पुरवाई गह, मिलकर बहूँ| सद् गंध हूँ, तज ईर्ष्या को प्रीतिमय हरदम रहूँ| क्यों जल रहे हो, नेह-महक फैलने दो,गुणी सह आनंद दिल बन, फूल-सदृश मुस्कराओ यह... Hindi · मुक्तक 607 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 3 Mar 2017 · 1 min read प्रेम जीवन धन गया बुढ़ापा अनुभव से सीखा, हँसा ज्ञानी बन गया | नहीं समझा, भ्रमित हो, माया में निश्चय सन गया | सीख लेते वही जन ,नायक बनें "नायक बृजेश"| जो न सँभले,दुख... Hindi · मुक्तक 521 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 2 Mar 2017 · 1 min read राष्ट्र अवनतिरूपमय भ्रम पकड, पंगा हो गया प्रेम-पथ पर चला उस का ज्ञान गंगा हो गया| बहा उल्टा जगत-तम का पूत चंगा हो गया| ज्ञानी बन, यदि शांत तुम, नितांत फूटे ढोल-सम| राष्ट्र अवनतिरूपमय भ्रम पकड, पंगा... Hindi · मुक्तक 616 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 1 Mar 2017 · 1 min read दिव्य प्रेम आकर्षणमय प्यार कभी न रुकता, अतिशय शिथिल- दीन है। सुविधाओं व संसर्गों से प्रकट नेह रोमांच हीन है। प्रभु के प्रति अनुराग में, जितने निकट ,लगाव उतना उच्च। "दिव्य प्रेम"... Hindi · मुक्तक 1 1 943 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 26 Feb 2017 · 1 min read सहजता बोलेगी कि, सज्जन सु चेतन कूक हैं प्रेम उनके निकट पर वह तो तनी बंदूक हैं | इसलिए ही आज तक बजता हुआ संदूक हैं | नेक जन बनकर, स्वयं निज को, अहं से मुक्त कर| सहजता... Hindi · मुक्तक 548 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 24 Feb 2017 · 1 min read मनुज, सद्गति बोध-प्रेमी भानु होगा चेत गह ,तब हिंद ऊँचा बन सकेगा| ज्ञान लौ पर ही, सुपोषक फल पकेगा| मिले पोषण, तभी तो तन-मन हमारा | सुबुधिमय उत्थान पाकर के हँसेगा | तब सयश सद्बुद्धि... Hindi · मुक्तक 585 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 23 Feb 2017 · 1 min read संवेदना घर सत्य, नायक वही जो नव चेतना भर | राष्ट्र को उत्थान दे, जन-वेदना हर| छिपा है आनंद, निज की आतमा में| मन स्वयं ही जाग बन,संवेदना-घर| बृजेश कुमार नायक "जागा... Hindi · मुक्तक 365 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 23 Feb 2017 · 1 min read विशारद मन प्रदूषण-जमघट हुए हैं सुकवि भी अब समूहों में बँट गए हैं| ज्ञान सूरज,जग धुआँ-सम भट हुए हैं | कौन सोए राष्ट्र को नव जागरण दे ? विशारद मन प्रदूषण-जमघट हुए हैं| बृजेश कुमार... Hindi · मुक्तक 366 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 22 Feb 2017 · 1 min read कवि वही / दिव्य सत् दे भाव को दिल में उतारे कवि वही,जो राष्ट्रहित हरदम पुकारे| ज्ञान ऊँँचाई को गह, न थके-हारे| स्वयं द्वारा ही,जो अपनी आत्मा को दिव्य सत् दे,भाव को दिल में उतारे | बृजेश कुमार नायक "जागा हिंदुस्तान... Hindi · मुक्तक 622 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 22 Feb 2017 · 1 min read आतमा की सबल लौ दिल में जगा लो/तभी तो सद्ज्ञान का सम्मान होगा सहजता के आवरण को अब सँभालो| अहंकारी मैल को धोकर निकालो | दिव्यता की कसौटी पर कसो निज को | आतमा की सबल लौ दिल में जगा लो| तभी तो... Hindi · मुक्तक 527 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 21 Feb 2017 · 1 min read जाग्रत सूरज सदृश अच्छाँईंया, उपहार में दीं डगर की अड़चनों ने मजबूतियाँ, उपकार में दींं | आत्मबल की वृद्धि की पुरबाईंयाँ, मृदु प्यार में दीं| जब लिखूँ , धक-धक करे दिल, निशारूपी कोह काँपे| जाग्रत सूरज -सदृश... Hindi · मुक्तक 1 1 421 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 21 Feb 2017 · 1 min read ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना जनम लेकर, खेल सह सद्भावना| युवावस्था प्यार की संभावना | बुढ़ापे में ज्ञान आया, तन झुका | ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना | बृजेश कुमार नायक "जागा हिंदुस्तान चाहिए" एवं... Hindi · मुक्तक 346 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 21 Feb 2017 · 1 min read कवि सूर्य भी निस्तेज-सा यदि तुम सुकवि, बन बढो, हिंसा छटे सद् प्रेम छवि। लोग कहते, चेत गह, निज राष्ट्र का। प्राण धन सह सत्य का संदेश कवि। बृजेश कुमार नायक... Hindi · मुक्तक 495 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2017 · 1 min read कवि /मुस्कुराहट लिख दे, निद्रित प्राण पर कवि वही जो चलता सत् किरपान पर | प्रेम वन छा जाए द्वंदी बाण पर | जागरण दे राष्ट्र को 'नायक बृजेश '| मुस्कुराहट लिख दे, निद्रित प्राण पर |... Hindi · मुक्तक 2 1 481 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2017 · 1 min read भाव तज बाजार है कौन कहता प्रीति- मग गुलजार है? हृदय अब भी चेतना बिन क्षार है| हिंद में शोषण -अशिक्षा की कसक दिख रही, जन , भाव तज बाजार है| बृजेश कुमार नायक... Hindi · मुक्तक 1 364 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 18 Feb 2017 · 1 min read राष्ट्र विकसित वह जहाँ जागी जवानी जोश को यदि होश की दें दिशा ज्ञानी | फैल जाए रोशनी, तम की कहानी खतम हो, अब तक न हमने टेक ठानी| राष्ट्र विकसित वह जहाँ जागी जवानी| बृजेश... Hindi · मुक्तक 344 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 18 Feb 2017 · 1 min read प्रेम ईश है ढाईआखर प्रीति का पढ़लो बन जाओ तुम पंडित ज्ञानी| बिना चाह के उतरेगी मन में उमंग बनकर शैतानी | व्यापक रूप मुहब्बत का, जो समझ गए तो प्रेम ईश हैं|... Hindi · मुक्तक 507 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 17 Feb 2017 · 1 min read हृदय वीणा हो गया जल उठे साथी तो मेरा चौड़ा सीना हो गया । ज्ञानगुरु-चौखट तथा श्रम का पसीना हो गया है। आह! ना कि आपने फेका था जिस दिन गर्त में। समय ने... Hindi · मुक्तक 638 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 17 Feb 2017 · 1 min read ज्ञान-दीपक सूर्य डरता ना कभी भी बदलियों के राज से। कुछ समय तक छिपे पर वह पुनि उगेगा नाज से। मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक-डग। ज्ञान-दीपक जगमगाते हर्ष... Hindi · मुक्तक 1 731 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 14 Feb 2017 · 1 min read प्रकाश एवं तिमिर राष्ट्रहित के ज्ञान का आकाश बन| नेहरूपी प्रबलता की प्यास बन | लिखे,तेरी जीवनी इतिहास नव | जागरण गीतों को गा, प्रकाश बन | तिमिर में अनचेतना का भूप है... Hindi · मुक्तक 766 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 11 Feb 2017 · 1 min read माँ मातु , उर की चेतना आनंद का आकाश है | शिशु-सुजीवन अति सुहावन बनाने का रास है| प्रीतिमय मूरत सुपावन और सुख-सद्भावमय भाव-जग की अमिट गरिमा,बाल-जीवन श्वास है | लड़कपन... Hindi · मुक्तक 574 Share Page 1 Next