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22 Feb 2017 · 1 min read

आतमा की सबल लौ दिल में जगा लो/तभी तो सद्ज्ञान का सम्मान होगा

सहजता के आवरण को अब सँभालो|
अहंकारी मैल को धोकर निकालो |
दिव्यता की कसौटी पर कसो निज को |
आतमा की सबल लौ दिल में जगा लो|

तभी तो सद्ज्ञान का सम्मान होगा|
स्वयं द्वारा ही स्वयं का मान होगा|
लिखेगा इतिहास तेरा, समय खुद ही |
दिल को भी ऊंचाइयों का भान होगा|

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

Language: Hindi
507 Views
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