Mamta Singh Devaa 445 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 9 Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read " वाह बनारस...वाह वाह बनारस " साधुओं के " ऊँ " से रमता है बनारस दशांगों के धुएं से महकता है बनारस मंदिरों की घंटियों से गूँजता है बनारस हर हर महादेव से उठता है बनारस... Hindi · कविता 2 4 495 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " ऐ वतन " वो जुनून की हद का इश्क हो वो सुकून की हद का इश्क हो अगर ये ना हो सके तो फिर माफ कर किसी और से इस कदर इश्क ना... Hindi · कविता 1 2 433 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " हिसाब " आधा वक्त भूत को याद करके वर्तमान से भाग के भविष्य में सब पाने की कल्पना में बर्बाद करते , और बचे हुए थोड़े से वक्त में ज्यादा खोने कम... Hindi · कविता 1 6 332 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " समझ " इच्छा क्या है ? जो मैं चाहूँ वो पाऊँ ये ? या जो सब चाहें वो पाएँ ये ? दोनो का अन्तर जो जाने वही जान गया ज़िन्दगी के माने... Hindi · कविता 1 2 194 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " शरद पूर्णिमा " विश्वास है आज कृष्ण आयेगें ना गोपाला ना कान्हा ना माखनचोर , सब बांधाओं को तोड़ सबसे बाँध ह्रदय की डोर , वृन्दावन के वन में गोपियों के मन में... Hindi · कविता 1 2 199 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " ये मैं हूँ " निश्चल बहती नदी को अपनी मजबूरियों , लाचारियों और कुंठाओं के बाँध से बाँधना निर्दयता की पराकाष्ठा , बेचारी नदी चित्कार कर लाचार थमी सी अपने में ताकत बटोरती ,... Hindi · कविता 1 4 258 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " बच्चे अचानक से बड़े हो जाते हैं " ना जाने कब चुपके से हाथ छुड़ा कर दूर खड़े हो होने लगे हैं बच्चे अचानक से बड़े होने लगे हैं , जो बिना ऊँगली पकड़े चल नही पाते थे... Hindi · कविता 1 2 374 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " काश " हे श्रष्टि रचयिता ! कृष्ण बन कर कर्म तुमने नारायण सा किया , फिर क्यों तुमने मनुष्य की तरह मृत्यु को वर लिया ? काश.... ऐसा हो जाता कि बहेलिये... Hindi · कविता 1 2 198 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read अंधविश्वास नौ दो ग्यारह स्मृति के पति का चार भाईयों का परिवार था सबसे छोटे भाई थोड़ा बिगड़ गये थे कई - कई दिन घर - गाँव से गायब रहते...इस बार होली मनाने स्मृति... Hindi · लघु कथा 1 2 510 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read हिंदी दिवस … अपनी राष्ट्र भाषा का सम्मान किजिए .... अस्सी प्रतिशत भारतीय अपनी गरदन शर्म से झुका कर रहे है मरदन , "हिंदी दिवस" वो भी भारत में जीना पड़ रहा है... Hindi · कविता 1 4 320 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 3 min read ऐ लड़की ऐ लड़की ! कैसे बोल रही है इससे हमारे यहाँ ऐसे बात नही करते हैं समझी ! समता के विवाह के तीन महीने ही हुये थे और सासू माँ के... Hindi · कहानी 2 494 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 4 min read " संयम या किस्मत " कहानी सच्ची है कहीं कुछ भी मिलावट नहीं है , सन २००२ अगस्त में मेरे ससुर का देहांत हुआ था इसलिए हमें कोई भी त्यौहार , जन्मदिन मनाने की मनाही... Hindi · कहानी 4 205 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 3 min read यदि मैं इतिहास बदल सकती - 4 " नही हुई सीता जी की अग्नि - परीक्षा " अशोक वाटिका में बैठी प्रभु राम की सीते बेसब्री से रघुनंदन का इंतज़ार कर रहीं थीं , राम के हाथों अंहकारी रावण मारा जा चुका था लंका पर विजय के... Hindi · कहानी 405 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 4 min read यदि मैं इतिहास बदल सकती - 3 " और बहेलिये ने तीर नही चलाया " महाभारत खत्म है चुका था वक्त अपने मरहम लगाने में लगा था युधिस्ठिर हस्तीनापुर की गद्दी पर बैठ चुके थे महाभारत के भयावह युद्ध के उपरांत गंधारी ने श्री कृष्ण... Hindi · कहानी 2 481 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 4 min read यदि मैं इतिहास बदल सकती - 2 " सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर एकलव्य " पांडवों की शिक्षा - दीक्षा के लिए गुरु द्रौणाचार्य को इसका दायित्व सौंपा गया ( और इसी के साथ शुरु हुई गरूओं की शिष्यों के घर जा कर शिक्षा देने... Hindi · कहानी 2 530 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 4 min read यदि मैं इतिहास बदल सकती - 1 " हाँ वो मुझसे कह कर गये " कपिल वस्तु को दुल्हन की भाँति सजाया जा रहा था आयोजन था राजकुमार सिद्धार्थ के विवाह का , राजा सुप्पबुद्ध औऱ रानी पमीता की पुत्री यशोधरा से सिद्धार्थ का विवाह... Hindi · कहानी 2 362 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read " लद्दाख (गलवान )शहादत " नमन है वीर जवान शहीदों को ??? पत्थर - लाठी -डंडों से रक्षा करेगें हम ऐसे ? हम गोली खाते सीने पर तो अफ़सोस ना होगा मरने पर , आदेश... Hindi · कविता 1 2 360 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read " माखन - हांडी " गोपाला.... माखन - हांडी तुम्हारा पर्याय तुम्हारा योग , पर इस कलियुग में कोई भी इस हांडी को फोड़ नही लगाता तुम्हारा भोग , अब तो हांडी को फोड़ने पर... Hindi · कविता 1 2 263 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read " अंडरस्टैंडिंग " जब बातें थी अनगिनत सुनाने को उस वक्त एकांत की कमी खली अब एकांत ही एकांत है तो बातें ढूंढ़े नही मिली , मिलती भी हैं तो वो बाते जो... Hindi · कविता 1 2 194 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read शिकवे गिले आओ.......... चाय की चुस्कियों के साथ ग़म ग़लत करते हैं जो गलत था उसे सही करते हैं , सुनो.......... वो विचार तब अलग थे सोच तब जुदा थी उम्र के... Hindi · कविता 2 367 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read " पिता " पिता ...... जिसके दम पर हमने जी भर के मनमानी की बेहिसाब शैतानी की जिसने हमें सर पर चढ़ाया और हमने सर पर चढ़ कर ये दिखाया कि देखो हम... Hindi · कविता 2 393 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 2 min read इच्छा मैं फिर आना चाहूँगीं अम्माँ की डांट खाने बाबू का प्यार पाने , मैं फिर ………………… रसोई में अम्माँ का आँचल थामने उनके स्वाद को अपने हांथों में उतारने ,... Hindi · कविता 2 514 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read गोविंद क्या करूँ गोविंद.... तुम्हारे बाल रूप का आलिंगन या तुम्हारे माखन सने मुख का चुम्बन ? क्या करूँ गोविंद.... तुम्हारे संहार रूप का नमन या रास रूप का वरण ?... Hindi · कविता 2 411 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ? अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ? अधर्म यूँ ही रहता पलता षड़यंत्रों का भेद ना खुलता सच लाक्षा गृह में जलता झूठ राजमहल में पलता अगर कृष्ण ना... Hindi · कविता 1 4 218 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read नमामी गंगे भागीरथी का अथक प्रयास पृथ्वी पर हो गंगा निवास , मोक्ष - दायिनी गंगा स्वच्छ - दायिनी गंगा , गौ मुख से निकलती ये उन्मुक्त भाव से बहती ये ,... Hindi · कविता 2 291 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 2 min read कौन कहता है अम्माँ बूढ़ी हो गई हैं ? कौन कहता है अम्माँ बूढ़ी हो गई हैं क्या अम्माँ कभी बूढ़ी हो सकती है ? आज अम्माँ कैसी हैं जैसी मेरे बचपन में थीं वैसी हैं , तन मन... Hindi · कविता 2 422 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read नटनागर हे नटनागर ! तूने फोड़ी सबकी गागर हमको थल में रख कर खुद रहते क्षीर सागर , इस थल में बड़ा कोप है चारो ओर अधर्म का प्रकोप है ,... Hindi · कविता 2 281 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read # लॉकडाउन 4.0 " दूरियाँ " इस ज़िंदगी की आदत सी पड़ती जा रही है ज़िंदगी तो अपनी रफ़्तार से चली जा रही है ! अपनों से दूरी का कोई एहसास नही है अपने पास हैं... Hindi · कविता 1 2 177 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 3 min read हर एक दोस्त..... होता है 1990 नवंबर का महीना कड़ाके की ठंड पड़ रही थी...आज कॉलेज से सात दोस्तों में से तीन माला , सरिता और मीता थोड़ा पहले आ गईं बड़ी ज़ोरों की भूख... Hindi · कहानी 1 2 238 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read अपना बचपन मैं झुठलाना चाहती हूँ अपना बड़ा होना , फिर से पाना चाहती हूँ अपना बचपना , छोटी मैं गिनतियों में रही बड़ी मैं उम्मीदों मेंं रही , अल्हड़पन से अनजान... Hindi · कविता 2 469 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read कन्हैया कन्हैया .... क्या तुम फिर आना चाहोगे इन धुर्त , मक्कार और चालबाज़ों के बीच जो तुम्हारे नाम का धंधा करते हैं खुद ब्रांडेड कपड़े पहन धर्म को नंगा करते... Hindi · कविता 3 2 270 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 2 min read नोटबंदी अचानक से एक दिन शाम को पति का फ़ोन आता है न्यूज़ देखो .... मैंने पुछा .... कुछ ख़ास ? बोले .... मोदी जी न्यूज़ पर सनसनी फैला रहे हैं... Hindi · कविता 2 2 248 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read मर्यादा.... एक चिंतन मर्यादा वो लिबास है जो आचरण पर पहने तो खास है, मर्यादा वो पगड़ी हैं जो आपकी तनी गर्दन पर जकड़ी है, मर्यादा वो आन है जो आपके व्यक्तित्व की... Hindi · कविता 2 2 396 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 2 min read "मेरी अम्माँ दुनिया कि सबसे खुबसूरत नायिका" बहुत सयंमित दिनचर्या जीने वाली कुछ ज्यादा ही संयम से चलने वाली कभी खाली नहीं बैठे नहीं देखा निरंतर कर्म को मान्यता देते देखा मै कहती............... अम्माँ तुम रोज पूजा... Hindi · कविता 1 4 374 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read हर बार मैं ही क्यों ? क्यों बार - बार हर बार मैं ही दूँ अग्नि परीक्षा ? इसलिए की मैं प्रेम में पिघल जाती हूँ ? अपना सर्वस्व समर्पित कर तुमको रिश्तों की धारा में... Hindi · कविता 2 327 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read मर्यादापुरूषोत्तम अजब अवतार थे आप गजब अवतार थे आप सारे अवतारों में सर्वश्रेष्ठ अवतार थे आप , आपने खुद को मनुष्य जाना मर्यादा में रहने का प्रण ठाना , बड़ा अनोखा... Hindi · कविता 4 259 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read " आई - अम्माँ , मॉम - मम्मा " दुनियाँ की सभी माओं को समर्पित ??? अम्माँ अम्माँ करते आधा युग बीत गया मम्मा मम्मा सुनते एक चौथाई बच्चों की हर आवाज़ पर माँ बोली मैं आई मैं आई...मैं... Hindi · कविता 2 408 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read सब बेमानी है तुम ऐसा करते तो क्या था तुम वैसा करते तो वाह था सब कह कर ही कराना था फिर तो विश्वास बहाना था , बिना कहे जो तुम समझते जब... Hindi · कविता 2 405 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read वाकपटुता जून की तपती दोपहरी....मीरा दोपहर का खाना बना एक बार फिर से नहा आई और कूलर के आगे बैठ गई ये सोच कर की सब काम निपट गये हैं थोड़ा... Hindi · लघु कथा 388 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read हाथी के दाँत सब अपने अपने हिसाब से कोरोना पर अपने विचार व सुझाव प्रकट कर रहे थे फ़लाना...ढिमाका...कोई video पोस्ट कर रहा है कोई voice mail भेज रहा है....सब अपना दूसरा पहलू... Hindi · लघु कथा 483 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 2 min read प्रकृति स्त्रीलिंग शब्द जहाँ जहाँ भी आया उसको नष्ट करने में ही सबने चैन पाया , प्रकृति - धरा तक को नही छोड़ा उसकी हर एक संपदा को तोड़ा , पता... Hindi · कविता 4 472 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read " संतुलन " बड़ी मुश्किलें हैं जीवन में... ज़बान से शहद हटा के सच की मिर्ची में शब्द घोल कर बोलती हूँ फिर भी डाईबिटिज ले डोलती हूँ , तीखा - कड़वा सच... Hindi · कविता 4 484 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read खनन प्रभु..... आपने राम के रुप में नर का अवतार लिया ये अवतार था.... दशरथ की सोच का रघुवंश के मोक्ष का , मनुष्यों के तारण का रावण के संहारण का... Hindi · कविता 1 4 525 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read " हिमालय से मेरे बाबू " हम बचपन में सब बाते अम्माँ से मनवाते अपनी दिल की सारी बातें उन्हीं से कह आते अम्माँ हमेशा हमें मजबूत खंबे सी लगतीं लेकिन अम्माँ के पीछे हम बाबू... Hindi · कविता 1 2 242 Share Mamta Singh Devaa 25 Jun 2020 · 1 min read तकिये के नीचे की पूड़ी बूढ़ी दादी बिमारी से जर्जर हो चली थीं बार - बार बच्चों की तरह थोड़ी - थोड़ी भूख लगती वो और सारी इक्षाओं पर तो काबू कर लेतीं पर ये... Hindi · लघु कथा 2 609 Share Previous Page 9