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अतीत में कृष्ण के ना होने की कल्पना अधर्म का प्रादुर्भाव एवं धर्म का नाश है। कलयुग में राक्षसी प्रवृत्तियों के प्रादुर्भाव से उस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो रही है। मानव जीवन के तारण करने के भगवान को फिर अवतार लेने की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। अन्यथा पापों के बोझ से यह पृथ्वी रसातल की ओर अग्रसर हो रही है।

धन्यवाद !

27 Jun 2020 06:30 PM

बहुत आभार ?

26 Jun 2020 11:14 PM

अगर कृष्ण ना होते? सुंदर प्रस्तुति है, वास्तव में यदि ना होते तो कुछ और ही होता और वह सब कष्ट दायी होता, जैसे वर्तमान में होता दिखाई दे रहा है, कौन सत्य के मार्ग पर चल रहा है, इसे परिभाषित करना कठिन है,हर कोई स्वयं को ही सत्यनिष्ठ प्रस्तुत कर रहा है, लेकिन विश्वास नहीं हो रहा है, ऐसे में आज फिर कृष्ण जैसे दूरदृष्टा की आवश्यकता है।सादर

27 Jun 2020 12:39 AM

सुंदर समीक्षा के लिए ह्दय से आभार ?

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