Comments (4)
27 Jun 2020 08:04 AM
एक नारी के के अंतर्मन की व्यथा की प्रतीकात्मक भावों युक्त सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
Mamta Singh Devaa
Author
27 Jun 2020 06:21 PM
बहुत आभार ?
अनाधिकार रुप से किसी को कब तक रोका जा सकता है, एक दिन तो यह सैलाब उमड़ पड़ेगा, और फिर निकल पड़ेगा अपनी मंजिल की ओर!
बहुत आभार ?