Mamta Singh Devaa Language: Hindi 444 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next Mamta Singh Devaa 3 Aug 2020 · 1 min read चाह कहते हैं... प्रेम ईश्वर है शरीर नश्वर है , फिर क्यों नश्वरता के पीछे पागलपन में हो खीचें , शरीर को ना गलाओ चलो अलख जगाओ , चाहो ईश्वर को... Hindi · कविता 1 2 259 Share Mamta Singh Devaa 2 Aug 2020 · 1 min read यादें...यादें...यादें... ( Happy Friendship Day ) चलो आज पुराना एलबम खोलते हैं दोस्तों को दिल की बातें याद कराते हैं , कैसे सब किसी बात पर मुँह फुलाते थे और हर थोड़ी देर पर सबको मनाते... Hindi · कविता 1 4 418 Share Mamta Singh Devaa 29 Jul 2020 · 1 min read " पूर्ण विराम " ये जीवन है इस जीवन में जरा सा ठहराव चाहिए , ज़्यादा नही पर एक - आध तो मुझको भी अर्ध विराम चाहिए , शरीर का क्या है वो तो... Hindi · कविता 1 2 270 Share Mamta Singh Devaa 28 Jul 2020 · 1 min read हिसाब आधा वक्त भूत को याद करके वर्तमान से भाग के भविष्य में सब पाने की कल्पना में बर्बाद करते , और बचे हुये थोड़े से वक्त में ज्यादा खोने कम... Hindi · कविता 3 372 Share Mamta Singh Devaa 27 Jul 2020 · 2 min read लड़का/लड़की उर्मिला अपनी डा० को दिखा ( एक - दो दिन में डिलीवरी की डेट थी ) पति और छोटी बेटी के साथ हॉस्पिटल से बाहर आई और रास्ते में कुछ... Hindi · लघु कथा 558 Share Mamta Singh Devaa 27 Jul 2020 · 1 min read कैसे गाएँ गीत मल्हार ? आज की दुनिया रही चीत्कार सब तरफ है मारम्म मार कैसे गाएँ गीत मल्हार ? आफत पड़ी है कैसी यार सब हो गया है बेकार कैसे गाएँ गीत मल्हार ?... Hindi · कविता 3 6 478 Share Mamta Singh Devaa 26 Jul 2020 · 1 min read जय है जय है जय है ?? ( कारगिल विजय दिवस ) जय है वीर जवानों की जय है वीर जांबाज़ों की जय है वीर रणबाँकुरों की जय है वीरों के वीरों की जय है उनके हौसले की जय है उनके फैसले... Hindi · कविता 2 4 274 Share Mamta Singh Devaa 25 Jul 2020 · 1 min read " सोशल मिडिया एक वरदान " सोशल मिडिया कमाल है अपने आप में बवाल है नही इससे छिपा कोई भी सवाल है , जब सवाल नही सुलझते हैं सब आपस में उलझते हैं फिर देखो सब... Hindi · कविता 2 560 Share Mamta Singh Devaa 23 Jul 2020 · 1 min read ' उम्मीद ' अम्माँ मुझे इसके साथ नही जाना " ये काली है " पाँच साल का छोटा भाई लगातार चिल्ला रहा था उसकी दो साल बड़ी बहन सीमा उसको देख रही थी... Hindi · लघु कथा 2 4 477 Share Mamta Singh Devaa 22 Jul 2020 · 2 min read देवी हूँ मैं.... पति..... साहब बाहर से आते हैं जैसा घर छोड़ कर गये थे वैसा ही पाते हैं , एकदम साफ सुथरा हर चीज़ व्यवस्थित कहीं नही बिखरा एक भी कतरा ,... Hindi · कविता 4 453 Share Mamta Singh Devaa 20 Jul 2020 · 2 min read " तब गाँव हमें अपनाता है " छुट्टियों में त्योहारों में गाँव जाते थे हम क्योंकि गाँव बसता था हमारे व्यवहारों में , हमारे गाँव जाने का एक मकसद होता था मन उत्तेजनाओं से भरा होता था... Hindi · कविता 5 4 467 Share Mamta Singh Devaa 19 Jul 2020 · 1 min read " चालाकी " ये ज़ाहिर मत होने दो की तुम परेशांं हो तुम्हारी इसी ना - ज़ाहिरी से वो खुद-ब-खुद मर जायेंगे , गर इसी तरह करते रहे तो देखना एक दिन तुम्हारे... Hindi · कविता 2 319 Share Mamta Singh Devaa 19 Jul 2020 · 1 min read " योगा शिरोमणि " बहन मेरी जिद्दी थी शरीर से पिद्दि थी , दर्शनशास्त्र में डाक्टर थी मेरे लिए प्राक्टर थी , दार्शनिक बन कर नही वो मानी उसने फिर योग करने की ठानी... Hindi · कविता 3 4 278 Share Mamta Singh Devaa 19 Jul 2020 · 1 min read फिर कब मिलेंगे ज़माने बीत गये हम दोस्तों को बिछड़े हुये जी भर कर एक दूसरे से लिपटे हुये , वो भी क्या दिन थे हर पल रंगीन थे कभी नही रहते हम... Hindi · कविता 1 244 Share Mamta Singh Devaa 19 Jul 2020 · 2 min read " शब्दों से सफाई " श्वेतांक का पूरा घर कामवाली बाइयों के भरोसे ही चलता पत्नी किसी कंपनी में बड़े ओहदे पर आसीन और पैसों के दंभ में चूर...घर के काम से कोई लेना देना... Hindi · लघु कथा 1 460 Share Mamta Singh Devaa 16 Jul 2020 · 1 min read अपना घर बचपन में हर लड़की से कहा जाता... अपने घर जाना तो ऐसा करना अपने घर जाना तो वैसा करना , माँ के घर से अपने घर आ गये अपने इस... Hindi · कविता 1 2 264 Share Mamta Singh Devaa 16 Jul 2020 · 1 min read प्रारंभ से भय समाज की रूढ़ीवादी मान्यताएं तीरों सी चुभती हैं फिर भी रोकर - चिल्लाकर - छटपटाकर सहते हैं क्योंकि हमें भी यही मान्यताएं बचपन में घुट्टी में घोलकर पिलाई गयीं हैं... Hindi · कविता 1 4 273 Share Mamta Singh Devaa 16 Jul 2020 · 1 min read बुरी सोच यहाँ पर एक दूसरे को गिराने का रिवाज है जी हाँ यही हमारा वर्षों का राज़ है , कोई मरहम नही लगाता चोट पर अब इस पर नमक छिड़कने को... Hindi · कविता 1 2 262 Share Mamta Singh Devaa 16 Jul 2020 · 1 min read राज़ ये लोग तुम्हें चीर - फाड़ - नोच कर रख देगें फिर पूछेगें हाल तुम्हारा क्योंकि इन्हें पता है पहले तो तुम थे अच्छे अब कहोगे अपना हाल बुरा तब... Hindi · कविता 1 2 563 Share Mamta Singh Devaa 16 Jul 2020 · 1 min read बैकबोन ( संस्कार ) अजीब सा ..... सीलने लगा है ये शहर सीलने से सड़ने लगे हैं हाथ - पैर गलने लगी है रीढ़ की हड्डी , अगर धूप ना निकली सीलन इसी तरह... Hindi · कविता 1 2 567 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 2 min read काशी - बनारस - वाराणसी काशी - बनारस - वाराणसी कुछ भी कह लो.......कभी इसको पृथ्वी से अलग माना गया कभी पृथ्वी की जान जो भी है सबके दिलों में बसता है बनारस .....जिसने भी... Hindi · लेख 2 4 580 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 1 min read आपत्ति पता नही क्यों इस वातावरण में साँस रूक - रूक कर चलती है , लेकिन आश्चर्य है इस पर भी लोगों को आपत्ति है । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता... Hindi · कविता 3 8 307 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 1 min read चिंता मेरे रोने से ज़मीन फटती है हँसने से आसमान समझ नही आता कहाँ से लाऊँ अपने लिए दूसरा जहान । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 09/05/91 ) Hindi · कविता 1 2 248 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 1 min read मानवता अभी भी राजनीति से परे एक शब्द है बचा उसके रहते संस्कृति , देश और मानव हैं ज़िंदा अगर ये शब्द यहाँ से मिटा तो युगों - युगों की हमारी... Hindi · कविता 1 6 394 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 1 min read विश्वास लगता है खीज कर , उब कर , झुंझला कर भाग जाऊँ पर मेरा विश्वास मूझे रोक लेता है और कहता है अरे ! ये भागना कैसा ? यहीं लड़ो... Hindi · कविता 1 4 296 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 1 min read हम तुम्हारे असंख्य शब्द शब्दों को जोड़ कर कितने वाक्य वाक्यों के अर्थ अलग - अलग पर सार यही कि तुम - मैं अधूरे पूर्ण होगें तब तुम - मैं से... Hindi · कविता 1 2 492 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 1 min read दादी जी का जन्मदिन ज़िन्दगी का ये पल हर किसी की तकदीर में नही , हमारी किस्मत कि उनकी आँखों से इतने सालों का सफर देखें तो सही , इस सफर में सुख -... Hindi · कविता 2 2 288 Share Mamta Singh Devaa 13 Jul 2020 · 2 min read " सीता के दुख का कारण " कभी सोचा है....... सीता के रूप में मेरा व्यक्तित्व अनोखा था उसका दूसरा पहलू कभी किसी ने नही देखा था , मैंने एक ही पहलू को दिखाया आज्ञाकारी - सुशील... Hindi · कविता 2 2 378 Share Mamta Singh Devaa 12 Jul 2020 · 1 min read बे अर्थ ज़बान हम करते हैं आपकी इज्जत देते हैं मान - सम्मान आपके शहीद होने पर रोता है देश का हर इंसान , और आप कायदा - तरीका नज़ाकत - नफासत इस... Hindi · कविता 4 6 321 Share Mamta Singh Devaa 12 Jul 2020 · 1 min read घायल आत्मसम्मान ग्लानि - कुंठाओं से भरे सैकेंड , मिनट , घंटे , दिन , महीने साल दर साल रोज मुझसे पूछते यही सवाल क्या यही था तुम्हारा मान - अभिमान ?... Hindi · कविता 2 4 246 Share Mamta Singh Devaa 12 Jul 2020 · 1 min read चालाकी ये ज़ाहिर मत होने दो की तुम परेशान हो तुम्हारी इसी ना - ज़ाहिरी से वो खुद-ब-खुद मर जायेंगे , गर इसी तरह करते रहे तो देखना एक दिन तुम्हारे... Hindi · कविता 2 2 419 Share Mamta Singh Devaa 11 Jul 2020 · 2 min read क्योंकि मै तो बस निक्कम्मी हूँ..... क्योंकि मै तो बस निक्कम्मी हूँ..... बच्चों को अपने हाथों का बना खिलाती हूँ स्कूल से आने पर घर में ही मिल जाती हूँ सारे कपड़े एक - एक कर... Hindi · कविता 1 6 401 Share Mamta Singh Devaa 11 Jul 2020 · 1 min read घर/बाहर यहाँ दस से पाँच नौकरी का दर्द नही तो क्या इसलिये छुट्टी का कोई अर्थ नही ? 8 घंटे की नौकरी का मर्म अलग है 24 घंटे की नौकरी फर्ज... Hindi · कविता 1 4 235 Share Mamta Singh Devaa 10 Jul 2020 · 1 min read आज की दुनिया अजीब हाल है इस दुनिया का किस रास्ते पर जा रहे हैं लोग एक दूसरे को नीचे गिराते हुये ज़िंदा लाशों की सीढ़ी बनाते हुए उपर चढ़े जा रहें हैं... Hindi · कविता 2 220 Share Mamta Singh Devaa 9 Jul 2020 · 1 min read महंगाई एक प्रश्न - चिन्ह इस बेमुर्रव्वत महँगाई ने बिना बेमुर्रव्वत के तोड़ दी है कमर और अभी भी सुरसा के मुँह की तरह फैलती धन और बेबसी साथ - साथ निगलती सोचती जा रही... Hindi · कविता 1 4 209 Share Mamta Singh Devaa 9 Jul 2020 · 1 min read करूपता के प्रति मापदंड चेहरे की कुरुपता से नही लगा सकते हम किसी का मापदंड उपरी कुरुपता से कैसे पहचान सकते हम किसी का भीतरी हृदय - अंग ? चेहरे के विपरीत होता है... Hindi · कविता 4 264 Share Mamta Singh Devaa 8 Jul 2020 · 2 min read मैं सच लिखने से क्यों डरूँ ? जो बात कहने से भी डरते है सब वो बात सबने कही वो कहने से नही डरे तो मैं सच लिखने से क्यों डरूँ ? जो तिरस्कार दिया अपनों ने... Hindi · कविता 4 4 207 Share Mamta Singh Devaa 7 Jul 2020 · 1 min read अभिलाषा हमें नही चाहिए ऐसी आजादी जहाँ हम घिनौने वातावरण में पड़े लगातार होते जा रहे हैं बड़े , हमें नही चाहिए ऐसी आजादी जहाँ अपना मजहब प्रधान है और मानवता... Hindi · कविता 3 4 514 Share Mamta Singh Devaa 7 Jul 2020 · 1 min read नारी नारी तुम श्राप नही वरदान हो अपना ही नही सबका मान हो , खुद को पहचानों खुद को जानो , कोई भी सोच तुमको डरा नही सकती तुमको अपने पथ... Hindi · कविता 3 8 637 Share Mamta Singh Devaa 7 Jul 2020 · 1 min read बदलती परिभाषा कहते है राम " अनुकरणीय " हैं कृष्ण " चिंतनीय " हैं , क्योंकि इन्होने ...... दुष्टों के विनाश के लिए लिया अवतार समय को जिया समय के अनुसार ,... Hindi · कविता 1 476 Share Mamta Singh Devaa 7 Jul 2020 · 4 min read अनजान साधु की सच्ची भविष्यवाणी संस्मरण सन् १९७०.....मेरी लगभग साढ़े चार साल की उम्र थी ( दो साल की उम्र से सारी याददाश्त ताज़ा है , माँ कहती हैं ऐसी याददाश्त बिरलों की ही होती... Hindi · कहानी 2 518 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 2 min read आओ एक बार फिर एक बार फिर से..... आओ वही पुराने होकर फिर से अपने इस बनारस में , तुम्हारे बिना सूना है हाॅस्टल का वो कमरा और ना भूलने वाला फैकल्टी का वो... Hindi · कविता 1 4 248 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read जन्मदिन भाइयों का जन्मदिन मुबारक हो जियो हज़ारों साल आपस में हमेशा इसी छुटपन की तरह करो प्यार , इतना करो प्यार इतनी खाओ कसम बाद में चाह कर भी इन्हें ना हो... Hindi · कविता 1 4 271 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read केदरनाथ प्राकृतिक आपदा " महाविनाश " हे केदार ! ये तेरा महाविनाश तेरे इस क्रोध ने कर दिया असंख्यों का नाश , इस कलियुग में भी बजा - बजा के डमरू खूब किया तांडव कर दिया... Hindi · कविता 1 395 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read नमन है वीरों को आज वीरों की शहादत पर जब जी भर कर चिल्लाते हैं सब , " इनकी कुर्बानी बेकार नही जायेगी दुश्मन का कर ख़ात्मा आत्मा चैन तभी पायेगी ", ये सब... Hindi · कविता 1 2 242 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read मोह निवेदिता अपनी सास को खाँसते देख गरम पानी का ग्लास पकड़ा बोली मम्मी ज़रा कम बोलिये बहुत खाँस रही हैं इतना सुनते ही फिर बोलना शुरू अरे अब मेरा कोई... Hindi · लघु कथा 1 2 599 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read मैं ऐसी ही हूँ वो और हैं जो आदतें बदल रहे हैं मेरे क़दम तो सालों से इसी रास्ते पर चल रहे हैं , मेरा " मैं " में नही परिवार में वास है... Hindi · कविता 1 2 278 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read कृष्णा यमुना या कालिंदी का तीर मथुरा और बृज का वीर माखनचोर,कन्हैया,माधव मोहन,कान्हा या जाधव कितने नाम है तेरे ? सब कहते कृष्णा है मेरे, श्याम-रात्रि को जनम लिया श्याम-रंग को... Hindi · कविता 3 4 257 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read रिश्तेदारी रिश्तेदारी पानी में फैले तेल की तरह है जो पानी में ना कभी मिलती है ना घुलती है जरा सी अफवाहों की चिंगारी से सिर्फ और सिर्फ जलती - धधकती... Hindi · कविता 5 6 299 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read पैसा पैसों की खनक से जुर्म दब जाता है , पैसों के आगे रिश्ता खो जाता है , बिन पैसा गुण भी ढक जाता है पैसा हो तो अवगुण भी तर... Hindi · कविता 4 6 280 Share Previous Page 6 Next