भूरचन्द जयपाल Language: Hindi 591 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 Next भूरचन्द जयपाल 22 May 2017 · 1 min read *** तेरी गली में हम*** आये है घर छोड़ के अपना साजन तेरी गली में हम मिले चाहे ख़ुशी या ग़म अपना घर छोड़ आये हम मिलना अब हम तुम सनम हम रहे ना हम... Hindi · गीत 1 354 Share भूरचन्द जयपाल 21 May 2017 · 1 min read *** प्यार किया तो डरना क्या *** 20.5.17 रात्रि 12.02 प्रारम्भिक बोल ********* प्यार करना गुनाह नही है फिर डरते क्यूं हो जमाने से ज़ख्म देके करते दिल घायल हां मदहोश करती है पायल।। *** तेरी आयल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 906 Share भूरचन्द जयपाल 17 May 2017 · 1 min read * गीत:- ऐ राधा ऐ राधा * ऐ राधा ऐ राधा तेरे प्यार को मैं अब कौन सा नाम दूं दिल मेरा है तेरा इसे कौन सा नाम दूं ऐ राधा ऐ राधा तुम बिन है श्याम... Hindi · गीत 1 373 Share भूरचन्द जयपाल 16 May 2017 · 1 min read *** ये दिल आपकी सम्पति है *** ये दिल आपकी सम्पति है जब तुम चाहो सो तोड़ दो लेकिन पहले ज़रा सोच लो नुकसान तुम्हारा ही होगा क्योँकि जुड़े हुए दिलों को तोड़ने से दोनों ही दिल... Hindi · कविता 1 383 Share भूरचन्द जयपाल 16 May 2017 · 1 min read **दर्द का अहसास ** अपनी भी हालत पेड़ से गिरे सूखे पत्ते-सी हो गयी है लोग रोंधकर चले जाते हैं मगर हमारे टूटने की आवाज़ उनके कानो तक नहीं पहुंच पाती है ऐसे लोगों... Hindi · कविता 1 252 Share भूरचन्द जयपाल 16 May 2017 · 1 min read ** दिल आख़िर दिल जो ठहरा ** दिल आखिर दिल जो ठहरा भावनाओ पर किसका पहरा उम्र हसीनाओं की पूछना मत घाव करता हृदय पर गहरा।। जितना जी चाहे प्यार करलो मुझसे फिर तन्हाई में सिर्फ याद... Hindi · कविता 1 195 Share भूरचन्द जयपाल 14 May 2017 · 1 min read ** गुनाह तो नहीं था ** 14.5.17 दोपहर 1.41 मेरा इश्क महज़ एक हादसा तो नहीं था जुल्म करे मैं ऐसा बादशाह तो नहीं था मांगे अब किस गुनाह की सज़ा ऐ ख़ुदा रूह से रूह... Hindi · मुक्तक 1 396 Share भूरचन्द जयपाल 13 May 2017 · 1 min read ** विदाई गीत ** विदा होने वाले विदा होने वाले विदा लेने वाले जुदा होने वाले हमे तुमसे इतनी शिकायत रहेगी कैसे सहेंगे तेरी जुदाई है ये विदाई है ये विदाई कैसे सहेंगे तेरी... Hindi · गीत 1 1k Share भूरचन्द जयपाल 12 May 2017 · 1 min read * ** ऋतु पावस *** ऋतु पावस थी निकट अमावस थी यौवन की वह घटा-छटा विकट थी मन- मयूर-बन नाचा आज बहुत नटराजन-लटा लिपटी मुखचन्द्र थी ।। चाँद को देखकर चंद्रमुखी चकित सी हेर- हेर... Hindi · मुक्तक 1 499 Share भूरचन्द जयपाल 10 May 2017 · 2 min read ** आदमी अर् गुंगळया में फर्क ** गुंगळया इण माटी रे डगळा ने गुड़कांवता ले जावे है । मानखो गुंगळया री भांति माथे रे बोझ ने लुड़कांवता जावे है । पण फेर भी माथे रो बोझ हळको... Hindi · लघु कथा 1 301 Share भूरचन्द जयपाल 8 May 2017 · 1 min read *** अफ़साना *** अफ़साना फ़लक से गिरती हुई उस शबनमी-शै का क्या कहें पलक से गिरते हुए टेसुओ से मिलती है फ़लक-अलक-शबनम देख मिलन अब याद आती है इंतजार-बरखा-मौसम मिलन तेरा इश्क-जलती चिता... Hindi · कविता 1 299 Share भूरचन्द जयपाल 8 May 2017 · 1 min read *** क्यूं किससे *** मायूस हो हम फुर्कत-ए-इश्क में रोए तुम सोचोगे खदीन ख़्वाब लेकर हम रोए आरजू-ए-ख्वाहिश इब्तिदा-इश्क करने हम तो आफ़ताब-ए-ख़ुदा पाने को रोए ?मधुप बैरागी राज-ए-मुहब्बत अब छुपाएं किससे दुनियां को... Hindi · मुक्तक 1 370 Share भूरचन्द जयपाल 7 May 2017 · 1 min read *** हिज्र की रात है *** 7.5.17 *** प्रातः 9.01 हिज्र की रात है और यादें तेरी गिन-गिन तारे अब बीते ना रातें अब कर रहमत इतनी मुझपर मेरे दिल से निकल जा ज़ालिम या मुहब्बत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 266 Share भूरचन्द जयपाल 6 May 2017 · 1 min read ** तुम वफ़ा क्या जानो ** 6.5.17 ***** रात्रि 11.11 तुम वफ़ा क्या जानो तुम जफ़ा क्या जानो क्यों कोई तुमसे ख़फा हो तुम क्या जानो ख़ार है या प्यार है दिल में तुम्हारे अब प्यार... Hindi · मुक्तक 1 302 Share भूरचन्द जयपाल 3 May 2017 · 2 min read *** मूर्ख कौन ? ** 3.5.17 ***** रात्रि 11.7 देश के सैनिकों को समर्पित मेरी प्रथम रचना आपको सादर समर्पित मूर्ख कौन ? जो मौन की कारा में है बन्द या बोलता है बोल बोलने... Hindi · कविता 1 384 Share भूरचन्द जयपाल 3 May 2017 · 1 min read * कहने वाले मिले हैं मुझसे * प्रारम्भिक बोल आज की दुनियां में प्यार की बात करते हैं लोग दुनियादारी की तरह पर प्यार करने वालो के लिए यह बात वियोग की रात से कम नहीं पर... Hindi · गीत 1 283 Share भूरचन्द जयपाल 3 May 2017 · 1 min read * कर-ना मुहब्बत इस जहां में * कर-ना मुहब्बत इस जहां में कर-ना मुहब्बत इस जहां में अज़नबी लोग है इस यहां में ग़मे उल्फ़त का दम भरते हैं कहते प्यार को प्यार ही हैं करते है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 168 Share भूरचन्द जयपाल 1 May 2017 · 1 min read *. ईश्वर वही है जिसे * ईश्वर वही है जिसे हमने बनाया ईश्वर ने हमें नहीं बनाया क्योकि हमीं अपना ईश्वर तय करते हैं उसका रूप रंग आकृति सब कुछ लेकिन फिर भी वह हम पर... Hindi · कविता 1 459 Share भूरचन्द जयपाल 30 Apr 2017 · 1 min read क्षणिका ** नाकाम कोशिश ** बड़ी नाकाम कोशिश थी हमारी तुम्हें पत्थर से मोम बनाने की आज देखकर तुम्हारे इस रूप को आँखों को विश्वास नही होता कि कल तलक फौलाद बनी ये हस्ती मोम... Hindi · कविता 1 237 Share भूरचन्द जयपाल 26 Apr 2017 · 2 min read ** सिर्फ प्यार ही प्यार हो ** याद आते हैं क्यूं बीते लम्हे जो गुजारे थे उनके साथ रुलाते क्यूं है वो किस्से उन बीती रातों के जो साथ रहकर की थी बातें आज अलग होकर क्यूं... Hindi · मुक्तक 1 483 Share भूरचन्द जयपाल 23 Apr 2017 · 1 min read ** कुरेदा है लफ्जो से ** कुरेदा है लफ्ज़ो से ज़ख्मो को इस क़दर तन्हाई में रोका,आज महफ़िल में रुलाया ।। किस्तो में जलाया जो दिल तुमने धुंआ धुंआ जलन आज भी बाकी है इन आँखों... Hindi · मुक्तक 1 512 Share भूरचन्द जयपाल 23 Apr 2017 · 1 min read *तुम उदास हो चेहरे पे फिर उजास है * तुम उदास हो चेहरे पे फिर उजास है ग़म छुपाते हो दिल ये फिर उदास है कहते हो शायरी में ग़म कुछ खास है ग़म को करे दूर मगर दूर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 366 Share भूरचन्द जयपाल 23 Apr 2017 · 1 min read ** तेरी मोहब्बत बडी बेलगाम है ** तेरी मोहब्बत बडी बेलगाम है प्यार के तांगे में जुतकर भी प्यार के तांगे को ही नचाती मचाती हो शोर करती ना गोर हिंहिनाती घोड़ी की माफिक है मस्ती में... Hindi · कविता 1 247 Share भूरचन्द जयपाल 22 Apr 2017 · 1 min read ** एकबार वफ़ा से अपनाकर तो देख लो ** जिंदगीभर हमसे जो खफ़ा खफ़ा रहा एकबार वफ़ा से अपनाकर तो देख लो ।। मिलके अश्कों को यूं बहालें तन्हाई में फिर रोना ना पड़े हमको ।। आज कह दो... Hindi · कविता 1 223 Share भूरचन्द जयपाल 21 Apr 2017 · 1 min read ** खाक मालूम होगा ** गुजरती है जिसपे उसे मालूम होता है जो गुजरा ना हो प्यार के मोड़ से उसे क्या खाक मालूम होगा ।। ?मधुप बैरागी मंजिलें दूर नही है पर मंजिल तक... Hindi · कविता 1 344 Share भूरचन्द जयपाल 21 Apr 2017 · 1 min read ** आरजू ** आरजू दिल की है तमन्ना शब-ए-रोज की है ऐ जिंदगी तूं तो बस कुछ एक रोज की है ।। ?मधुप बैरागी सम्बन्ध बदलते हैं बदलना चाहे या ना चाहे मौत... Hindi · शेर 1 293 Share भूरचन्द जयपाल 19 Apr 2017 · 1 min read *** त्रिशंकु जिंदगी *** मुसाफ़िर को जाना किधर था रोका घर के मोह ने उसे था क्या पता था उसको कब घर उसका रौंद दिया किसी ने बन त्रिशंकु अधर जिंदगी में लटका रहा... Hindi · कविता 1 402 Share भूरचन्द जयपाल 16 Apr 2017 · 1 min read * खूबसूरती निगाहों में होनी चाहिए * खूबसूरती ख्वाबों में नहीं निगाहों में होनी चाहिए आनन्द नजारों में नहीं नजरों में होना चाहिए।। करके बिस्मिल जबसे चले तुम गम-ए-इश्क में हमको बहे जो अश्क इन आँखों से... Hindi · मुक्तक 1 278 Share भूरचन्द जयपाल 16 Apr 2017 · 1 min read * क्या हम शरीफ इतने कमजोर होते हैं * कितनी अजीब बात है दोस्तों शरीफ कभी एक नही होते हैं बदमाश एक होकर भी अनेक अनेक होकर भी एक होते हैं ज़रा सोचो विचार करो दोस्तों क्या हम .............................. Hindi · कविता 1 317 Share भूरचन्द जयपाल 15 Apr 2017 · 1 min read *मौत के डर से मर जाया नही करते इंसान* वक्त कब किसी पे रहम करता है सम्भालों जीना है जहां में यारों जिंदगी कब कहती है मर मर के जिओ मौत कब कहती है जीते जी मर जाओ रहम... Hindi · मुक्तक 1 337 Share भूरचन्द जयपाल 14 Apr 2017 · 1 min read ** नमन नमन उस भीम को ** 14.4.17 प्रातः 10.30 नमन नमन उस भीम को नमन नमन उस भीम को रच-संविधा-संविधान को नमन उस भीम-वीर को झेला अनयअत्याचार को पेला गूढ़ज्ञान-आगार को नमन है उस भीम को... Hindi · गीत 1 454 Share भूरचन्द जयपाल 14 Apr 2017 · 2 min read * ये राजनीति अब बन्द होनी चाहिए * 14.4.17 **** प्रातः 9.30 ये राजनीति अब बन्द होनी चाहिए ये राजनीति अब दबंग होनी चाहिए क्या दलित दलित चिल्लाते हो तुम क्या दलित नही सर्व-समाज-जानो छोड़ हित अपना कब... Hindi · कविता 1 543 Share भूरचन्द जयपाल 13 Apr 2017 · 2 min read * विश्व ने माना जिसका लोहा * ज्ञानदिवस की पूर्वसन्ध्या पर ज्ञानपुरुष को उनके जन्मदिवस पर समर्पित रचना ? विश्व ने माना लोहा ? क्या हिंदुस्तान कभी मानेगा एक महामानव आया था जग में क्या कोई उसे... Hindi · कविता 1 251 Share भूरचन्द जयपाल 12 Apr 2017 · 1 min read ** अदालत-ए-इश्क ** मुवक्किल थे हम उनके अदालत-ए-इश्क में पैरवी कुछ इस तरह की हम जीती हुई बाजी हारे ।। ?मधुप बैरागी प्राणों का नहीं मोह मुझे न मृत्यु का है भी मृत्यु... Hindi · शेर 1 342 Share भूरचन्द जयपाल 11 Apr 2017 · 1 min read ** शुकुं-ए-जिंदगी ** शुकुं-ए-जिंदगी मिले तो कैसे बो दिये है बीज जो अब ऐसे बोएं बबूल और चाहे आम ये काम हो तो अब कैसे जो बो दिया है जिंदगी में जो खो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 258 Share भूरचन्द जयपाल 10 Apr 2017 · 1 min read ** दिल बाग़-बाग होता है ** दिल बाग-बाग होता है जब हाथ कलम पर चलता है अफ़सोस गुस्ताख़ मुरीद पर जब हाथ मेरा चलता है दिल रोता है आँख नम होती है परेशां ग़म-ए-शाम होती है... Hindi · कविता 2 1 307 Share भूरचन्द जयपाल 10 Apr 2017 · 1 min read ** ज़ख्म जिंदगी के ** ज़ख्म जिंदगी के सोने ना देते रोने ना देते ज़ख्म जिंदगी के ज़ख्म जिंदगी के रह रह रुलाते बडी मुश्किल से ज़ख्म छुपाते दिखाये किसको दिलके ये छाले ज़ख्म ये... Hindi · गीत 1 274 Share भूरचन्द जयपाल 10 Apr 2017 · 1 min read ** साथण म्हारी ** क्यूं दाबे है पांव बावळी तूं तो साथण म्हारी है लोग देख अचरज करे भरे बाजारा दाबे पांव आ कांई लुगाई है कियां थने आशीष देऊं बन्ध्या दोनों हाथ है... Hindi · कविता 1 228 Share भूरचन्द जयपाल 10 Apr 2017 · 1 min read * हवाऐं बन्द कमरे की * मैं उन्मुक्त हवाओं में घूमना चाहता हूं मैं घटाओं को देखकर झूमना चाहता हूं मैं धरती से आसमां चूमना चाहता हूं पर मुझे ये रोक लेती है हवाऐं बन्द कमरे... Hindi · कविता 1 218 Share भूरचन्द जयपाल 9 Apr 2017 · 1 min read * ये जीवन दो दिन का मेला * मन काहे का गुमान करे, ये जीवन दो दिन का मैला फिर मन काहे फूला-फूला इतरायें क्यूं तन पर भूला ये जीवन दो दिन का मेंला फिर क्यूं अपनों में... Hindi · कविता 1 421 Share भूरचन्द जयपाल 8 Apr 2017 · 1 min read ** भीम लक्ष्य ** 8.4.17 ***** रात्रि 11.21 भीम लक्ष्य था उस महा मानव का जिसने झेली तिरस्कार-पीड़ाएं और खोया अपनों को मानवहित खातिर हम आज किये हैं वाद अपने हित मित सीमित है... Hindi · कविता 1 249 Share भूरचन्द जयपाल 8 Apr 2017 · 1 min read * ओ यारा मेरे दिलदारा * ओ यारा मेरे दिलदारा मैंने तुझ पे दिलवारा दिल का मोल नहीं होता है समझा तूने कब दिलदारा ओ यारा मेरे दिलदारा तोड़ के ये जिस्मों का बंधन चल दूंगा... Hindi · गीत 1 282 Share भूरचन्द जयपाल 4 Apr 2017 · 1 min read ** मैं शब्द-शिल्पी हूं ** मैं शब्द-शिल्पी हूंउ शब्दो को जोड़ता हूं मैं विध्वंसक नहीं जो दिलों को तोड़ता है /हूं फिर भी लोग मुझे इल्ज़ाम दिये जातें हैं मैं मोम-सा कोमल पत्थर किये जाते... Hindi · कविता 1 451 Share भूरचन्द जयपाल 4 Apr 2017 · 1 min read *. और क्या चाहिए * महफूज़ दिल के सिवा और क्या चाहिए दिया दर्देदिल के सिवा और क्या चाहिए नजरें इश्क से सराबोर और क्या चाहिए गुफ़्तगू नम- नजरों से और क्या चाहिए इश्क तुमसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 513 Share भूरचन्द जयपाल 2 Apr 2017 · 1 min read * नजरें करम हो अब हम पे कैसे * सफ़र जिंदगी का सुहाना हो कैसे नजरें करम हो अब हम पे कैसे रूहानी ग़ज़ल है रूहानी सफ़र है हक़ीक़त बने अब हर ख़्वाब कैसे आना कभी आना कभी मेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 256 Share भूरचन्द जयपाल 2 Apr 2017 · 1 min read * उम्र अगर ढ़लती नहीं * 2.4.17 प्रातः * 11.7 उग्र अगर यूं ढ़लती नहीं कामनाये यूं छलती नहीं नज़रें बचाते है यूं उनसे नजरें कहीं दो-चार नहीं ।। डर -डर निकलती है उम्र सर -सर... Hindi · मुक्तक 1 337 Share भूरचन्द जयपाल 29 Mar 2017 · 5 min read * वन्दे मातरम् --मेरा नजरिया * मैं सर्वप्रथम मातृभूमि,कर्मभूमि,जन्मभूमि की मानस पूजा करता हूं।उपन्यासकार श्री बंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनन्दमठ में जिस गीत की सर्जना की वह आज़ादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने एवं स्वतन्त्रता... Hindi · लेख 1 468 Share भूरचन्द जयपाल 29 Mar 2017 · 4 min read किशोर/किशोरियों में एच आई वी /एड्स के प्रति जागरूकता-एक अध्ययन प्रस्तावना कबीरदास ने कहा है - कबीरा सोई पीर है,जो जाने पर पीर जो परपीर न जानई,सो काफिर बेपीर।। वर्तमान समय में गम्भीर एवं असाध्य बिमारियों की चर्चा की जावे... Hindi · लेख 1 484 Share भूरचन्द जयपाल 29 Mar 2017 · 1 min read *** मानवता की मौत *** आद्रो हुआ है जबसे अपरा अवनि पर बुरी प्रमिति का जन्म हुआ भयसी दुस्तर मार्गों का हुआ मानव जुदा-जुदा फिरकों में विभक्त समित पृथ्वी पर छा गया विषाद जबसे मानव... Hindi · कविता 1 516 Share भूरचन्द जयपाल 29 Mar 2017 · 1 min read ** मण्डप में पहुंचने से पहले ** 1991 में दहेज प्रथा पर लिखी कविता मण्डप में पहुंचने से पहले ग्राउण्ड में खड़े होकर विवाह के लिए आये दूल्हे के अण्डर-ग्राउण्ड होने से पहले दुल्हन के पिता के... Hindi · कविता 1 194 Share Previous Page 7 Next