Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2017 · 1 min read

**दर्द का अहसास **

अपनी भी हालत

पेड़ से गिरे सूखे

पत्ते-सी हो गयी है

लोग रोंधकर

चले जाते हैं

मगर हमारे टूटने

की आवाज़ उनके

कानो तक नहीं

पहुंच पाती है

ऐसे लोगों को

दर्द का अहसास

क्या कभी हो

पाता …….. है ?

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
लोगों का मुहं बंद करवाने से अच्छा है
लोगों का मुहं बंद करवाने से अच्छा है
Yuvraj Singh
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
जग के जीवनदाता के प्रति
जग के जीवनदाता के प्रति
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कोहली किंग
कोहली किंग
पूर्वार्थ
3314.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3314.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
"अवसाद"
Dr Meenu Poonia
ऐसे जीना जिंदगी,
ऐसे जीना जिंदगी,
sushil sarna
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
तुम्हारे
तुम्हारे
हिमांशु Kulshrestha
हास्य-व्यंग्य सम्राट परसाई
हास्य-व्यंग्य सम्राट परसाई
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
आज पलटे जो ख़्बाब के पन्ने - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल/नज़्म: एक तेरे ख़्वाब में ही तो हमने हजारों ख़्वाब पाले हैं
ग़ज़ल/नज़्म: एक तेरे ख़्वाब में ही तो हमने हजारों ख़्वाब पाले हैं
अनिल कुमार
*ज्ञानी (बाल कविता)*
*ज्ञानी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जिंदगी झंड है,
जिंदगी झंड है,
कार्तिक नितिन शर्मा
मैं इंकलाब यहाँ पर ला दूँगा
मैं इंकलाब यहाँ पर ला दूँगा
Dr. Man Mohan Krishna
आरक्षण बनाम आरक्षण / MUSAFIR BAITHA
आरक्षण बनाम आरक्षण / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
संस्कारों को भूल रहे हैं
संस्कारों को भूल रहे हैं
VINOD CHAUHAN
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
"हालात"
Dr. Kishan tandon kranti
ईमान
ईमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
कर्मफल भोग
कर्मफल भोग
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में...
तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में...
Vishal babu (vishu)
इश्क का रंग मेहंदी की तरह होता है धीरे - धीरे दिल और दिमाग प
इश्क का रंग मेहंदी की तरह होता है धीरे - धीरे दिल और दिमाग प
Rj Anand Prajapati
जागो तो पाओ ; उमेश शुक्ल के हाइकु
जागो तो पाओ ; उमेश शुक्ल के हाइकु
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
निष्ठुर संवेदना
निष्ठुर संवेदना
Alok Saxena
Loading...