Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2017 · 1 min read

** मण्डप में पहुंचने से पहले **

1991 में दहेज प्रथा पर लिखी कविता

मण्डप में पहुंचने से पहले
ग्राउण्ड में खड़े होकर
विवाह के लिए आये दूल्हे के
अण्डर-ग्राउण्ड होने से पहले
दुल्हन के पिता के कुछ कहने से पहले
दूल्हे के पिता बोल बैठे कुछ ऐसे कि चाहिए हमें
एक मोपेड मण्डप में
पहुंचने से पहले
वरना रहेगी तुम्हारी बेटी
जैसी की तैसी
यह सुनकर बोल बैठी वो ऐसे
नहीं लूटना हमे
इन लुटेरों के हाथों ऐसे
जैसे लूट चुकी हजारों नारियां
वैसे मैं नहीं लूटना चाहती
न ही मैं जलकर
आत्महत्या करना चाहती
मैं चाहती हूं सिर्फ
इन लुटेरों के ख़िलाफ़
खड़ी होकर
इनके द्वारा चलाई
दहेज प्रथा मिटाना
ले जाओ ! यह बारात
नहीं करनी मुझे यह शादी
मण्डप में पहुंचने से पहले
नहीं देख सकती
मैं अपनी बर्बादी ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 187 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
2293.पूर्णिका
2293.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नेता
नेता
Punam Pande
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
आप इसे पढ़ें या न पढ़ें हम तो बस लिखते रहेंगे ! आप सुने ना सुन
आप इसे पढ़ें या न पढ़ें हम तो बस लिखते रहेंगे ! आप सुने ना सुन
DrLakshman Jha Parimal
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
पाती
पाती
डॉक्टर रागिनी
हर ज़ख्म हमने पाया गुलाब के जैसा,
हर ज़ख्म हमने पाया गुलाब के जैसा,
लवकुश यादव "अज़ल"
सुखम् दुखम
सुखम् दुखम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हां राम, समर शेष है
हां राम, समर शेष है
Suryakant Dwivedi
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
भूख से लोग
भूख से लोग
Dr fauzia Naseem shad
गीत
गीत
Mahendra Narayan
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ख़ुद्दार बन रहे हैं पर लँगड़ा रहा ज़मीर है
ख़ुद्दार बन रहे हैं पर लँगड़ा रहा ज़मीर है
पूर्वार्थ
वो खुशनसीब थे
वो खुशनसीब थे
Dheerja Sharma
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
शेखर सिंह
■ मंगलमय हो अष्टमी
■ मंगलमय हो अष्टमी
*Author प्रणय प्रभात*
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
Ranjeet kumar patre
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"अजातशत्रु"
Dr. Kishan tandon kranti
*महान आध्यात्मिक विभूति मौलाना यूसुफ इस्लाही से दो मुलाकातें*
*महान आध्यात्मिक विभूति मौलाना यूसुफ इस्लाही से दो मुलाकातें*
Ravi Prakash
* लोकतंत्र महान है *
* लोकतंत्र महान है *
surenderpal vaidya
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
ख्याल नहीं थे उम्दा हमारे, इसलिए हालत ऐसी हुई
gurudeenverma198
प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर
प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर
Buddha Prakash
मन तो बावरा है
मन तो बावरा है
हिमांशु Kulshrestha
💐प्रेम कौतुक-305💐
💐प्रेम कौतुक-305💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...